उज्जैन में यहां देश भर से आते हैं तांत्रिक, कालिदास की आराध्य देवी का है यह मंदिर, जानें महिमा

शुभम मरमट/उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में 51 शक्ति पीठों में से एक हरसिद्धि मंदिर की तरह गढ़कालिका मंदिर भी प्रसिद्ध है. यहां कपड़े के बनाए गए नरमुंड चढ़ाए जाते हैं. यहां प्रसाद के रूप में दशहरे के दिन नींबू बांटा जाता है. इस मंदिर में तंत्र सीखने वाले भी आते हैं. नवरात्रि के नौ दिनों में माता कालिका अपने भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन देती हैं.

बताया जाता है कि गढ़कालिका माता कालिदास की आराध्य देवी हैं. यह मंदिर उज्जैन के गड़कालीला रोड पर है. उज्जैन में हरसिद्धि के बाद दूसरा शक्तिपीठ गढ़कालिका मंदिर को माना जाता है. पुराणों में उल्लेख मिलता है कि उज्जैन में शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर माता सती के होंठ गिरे थे, इसलिए इस जगह को भी शक्तिपीठ के समकक्ष ही माना गया है. इस देवी मंदिर का पुराणों में भी वर्णन है.

कपड़े के नरमुंड का चढ़ावा
गढ़कालिका मंदिर में नवरात्रि के बाद दशमी पर कपड़े के बनाए गए नरमुंड चढ़ाए जाते हैं. प्रसाद के रूप में दशहरे के दिन नींबू बांटा जाता है. इस मंदिर में तांत्रिक क्रिया के लिए कई तांत्रिक आते हैं. इन नौ दिनों में मां कालिका अपने भक्तों को अलग-अलग रूप में दर्शन देती हैं. तांत्रिकों की देवी कालिका के इस चमत्कारी मंदिर की प्राचीनता के विषय में कम ही लोग जानते हैं. माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग की बताई जाती है. चैत्र की नवरात्रि में रोजाना तांत्रिकों का मेला इस मंदिर में लगता है. यहां खासकर मध्य प्रदेश, गुजरात, आसाम, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के तांत्रिक तंत्र क्रिया करने आते हैं.

नौ दिन अलग रूप में दर्शन
मंदिर के पंडित नागर ने बताया कि नवरात्रि पर्व में रोजाना माता को अलग-अलग नौ रूप में शृंगार किया जा रहा है, जिसमें माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री के रूप में भक्तों को दर्शन देती हैं.

कालिदास की आराध्य देवी हैं माता
मां गढ़कालिका महाकवि कालिदास की आराध्य देवी मानी जाती हैं. माता के आशीर्वाद से ही कालिदास ने कालजयी ग्रन्थों की रचना की थी. कालिदास रचित ‘श्यामला दंडक’ महाकाली स्तोत्र एक सुंदर रचना है. ऐसा कहा जाता है कि महाकवि के मुख से सबसे पहले यही स्तोत्र प्रकट हुआ था. उज्जैन में आयोजित होने वाले कालिदास समारोह में प्रतिवर्ष मां कालिका की आराधना की जाती है.

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