उज्जैन: देवी का ऐसा मंदिर… जहां साल में दो बार लगता है शराब का भोग, खुद DM निभाते हैं परंपरा

शुभम मरमट/उज्जैन. नवरात्रि में जहां एक ओर लोग मांस और मदिरा के सेवन से बचते हैं, वहीं उज्जैन में एक देवी मंदिर ऐसा भी है, जहां माता को शराब चढ़ाई जाती है. इतना ही नहीं, इस मंदिर में आने वाले भक्तों को भी प्रसाद के रूप में शराब बांटी जाती है. इस मंदिर में मां को शराब का भोग सिर्फ साल में दो बार लगता है.

शारदीय और चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी के अवसर पर ही लोक कल्याण के साथ सुख, समृद्धि के लिए शराब का भोग लगाया जाता है. महाअष्टमी पर 24 खंभा माता मंदिर में नगर पूजा का आयोजन होता है. इसकी शुरुआत शासकीय पूजन के साथ होती है, जिसमें खुद कलेक्टर (DM) पूजा करते हैं. मां महामाया और महालाया को मदिरा का भोग लगाया जाता है.

हजारों साल पुरानी परंपरा
नवरात्रि की महाष्टमी पर उज्जैन में नगर पूजा की परंपरा हजारों साल पुरानी है. मान्यता है कि उज्जयिनी के सम्राट विक्रमादित्य लोक कल्याण और राज्य की प्रजा की सुख शांति और समृद्धि के लिए नगर पूजा करते थे. तब से नगर की सीमाओं पर स्थित इन देवी मंदिरों में पूजा की परंपरा चली आ रही है. महाकाल वन के मुख्य प्रवेश द्वार पर विराजित माता महामाया व माता महालाया 24 खंभा माता मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं.

अलग-अलग 24 स्तंभ का विशेष महत्व
यहां पर मंदिर के भीतर 24 काले पत्थरों के स्तंभ हैं, इसलिए इस स्थान को 24 खंभा माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह उज्जैन नगर में प्रवेश करने का प्राचीन द्वार हुआ करता था. पहले उसके आसपास परकोटा हुआ करता था. तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध उज्जैन या प्राचीन अवंतिका के चारों द्वार पर भैरव तथा देवी विराजित हैं, जो आपदा-विपदा से नगर की रक्षा करते हैं. चौबीस खंबा माता भी उनमें से एक हैं. यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है.

निकाली जाती है नगर पूजन यात्रा
24 खंभा माता मंदिर में देवी महामाया और देवी महालाया की प्रतिमाएं हैं, जहां अल सुबह पूजन के बाद नगर पूजन यात्रा शुरू होती है. माना जाता है सम्राट राजा विक्रमादित्य इन देवियों की आराधना किया करते थे. उन्हीं के समय से नवरात्रि की महाअष्टमी पर यहां सरकारी अधिकारी के द्वारा पूजन किए जाने की परंपरा चली आ रही है.

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