शुभम मरमट / उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर की नगरी जो एक धार्मिक आस्था का केंद्र है. उज्जैनीय को तीर्थ की नगरी भी कहा जाता है. यहां एक ऐसा श्मशान भी है जिसे तीर्थ का दर्जा मिला है. यह श्मशान मोक्ष दायनी शिप्रा से लगा हुआ है. यहां जिसका दाह संस्कार होता है उसकी आत्मा को मोक्ष व तीर्थ की सीढ़ी को प्रार्प्त होता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अवंतिका नगरी इसको तीर्थ की नगरी कहा गया है और यहां जितने भी स्थान है वो देवों – देवियों के है और भगवान स्वयं महाकाल का ज्योतिलिंग है. यहा आना तीर्थ पर जाने के समान है. लेकिन सबसे बड़ी बात उज्जैन मे एक चक्रतीर्थ श्मशान घाटहै जिसे भी तीर्थ का दर्जा मिला है.
उज्जैन को कहा जाता है तीर्थ की नगरी
महेश पुजारी ने कहा कि ऐसी एक कथा है. जब पांडवो और कौरव का युद्ध हुआ था. तब जो उसमे शहीद हुए उनको भगवान ने कहा इनको ऐसी जगह पर दाह संस्कार किया जाय जहां कोई भी पाप ना हुआ हो. तो पृथ्वी पर कई ऐसा स्थान नहीं मिला जहा पाप ना हुआ हो. सबसे आख़री मे अवंतिका मे भगवान के दूद्ध आये और यहा देखा की यहा ऐसा प्रतीक हो रहा है की यहा करण के देह संस्कार कराया जा सकता है. लेकिन फिर भी स्वयं भगवान विष्णु ने जो कृष्ण के रूप मे अवतारीत है. उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र को यहा भेजा और उनकी देह को सुदर्शन पर रख कर उनका देह संस्कार किया. ऐसी ये कथा हमने सुनी है. करण का जो दाह संस्कार हुआ वो यही हुआ. इसलिए ये श्मशान घाटको तीर्थ का दर्जा दिया है.जो चक्र तीर्थ नाम से प्रसिद्ध है.
तंत्र क्रियाओं के लिए भी यह केंद्र प्रसिद्ध
चक्रतीर्थ ये एक ऐसा श्मशान है जिसे तीर्थ का दर्जा तो मिला ही है. लेकिन ये श्मशानतंत्र साधकों की सिद्धि प्राप्त करने का भी मुख्य केंद्र बताया जाता है. दिवाली की अमावस्या पर यहा देश विदेश के तांत्रिक अपनी सिद्धियों को जाग्रत करने के लिए भी आते है.
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FIRST PUBLISHED : November 21, 2023, 15:09 IST