उच्च न्यायालय ने अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन पर रोक लगायी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बुधवार को अमेठी के संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी।
हालांकि अदालत ने मामले में चल रही जांच को जारी रखने को कहा है। अदालत ने राज्य सरकार से मामले में जवाब तलब भी किया है।
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (चीफ ऑपरेशन ऑफिसर) अवधेश शर्मा की ओर से दाखिल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। अदालत ने कहा कि अस्पताल के खिलाफ जांच जारी रहेगी।
इस याचिका में अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने के एक सरकारी आदेश केा चुनौती दी गयी थी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जे एन माथुर ने तर्क दिया कि सरकार ने दुर्भावनावश अस्पताल का लाइसेंस निलंबित किया है।

उन्होंने मांग की थी कि निलंबन आदेश रद्द किया जाये।
राज्य सरकार की ओर से अदालत में कहा गया था कि अस्पताल में ऑपरेशन हो रहे थे जबकि उसके पास ऑपरेशन करने का लाइसेंस ही नहीं था। राज्य सरकार ने कहा कि निलंबन आदेश बिल्कुल सही है और अस्पताल के खिलाफ जांच चल रही है।
ऑपरेशन के बाद दिव्या शुक्ला (22) नामक एक मरीज की मौत के अगले दिन 17 सितंबर को इस अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया था और उसकी सेवाएं बंद कर दी गई थीं।
संजय गांधी अस्पताल का संचालन दिल्ली स्थित संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट करता है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं तथा पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा उसके सदस्य हैं।
दिव्या शुक्ला को 14 सितंबर को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके पति ने दावा किया कि ऑपरेशन के दौरान उसे एनेस्थीसिया की अधिक मात्रा दी गई थी, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और अंततः उसकी मृत्यु हो गई।

परिजनों ने 16 सितंबर की देर शाम दिव्या के शव को अस्पताल के मुख्य द्वार पर रखकर देर रात तक प्रदर्शन किया था। पुलिस प्रशासन ने दिव्या के परिजनों की तहरीर पर संजय गांधी अस्पताल के सीईओ अवधेश शर्मा, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्दीकी, जनरल सर्जन मोहम्मद रजा और फिजिशियन डॉक्टर शुभम द्विवेदी के खिलाफ मुंशीगंज थाने में गैर इरादतन हत्या के तहत मुकदमा पंजीकृत किया था।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया था, जिसके बाद अस्पताल का पंजीकरण निलंबित कर दिया गया था।
स्वास्थ्य विभाग ने अमेठी के मुंशीगंज इलाके में संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया और ओपीडी और आपातकालीन सेवाएं बंद कर दीं।

यह पूछे जाने पर कि अदालत के आदेश के बाद अस्पताल कब काम करना शुरू करेगा, संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट के प्रशासक मनोज मट्टो ने कहा कि अदालत का आदेश मिलने के बाद, इसे मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दिया जाएगा और सीएमओ के आदेश के अनुसार अस्पताल का कामकाज फिर से शुरू होगा।
मट्टो ने कहा कि वह चाहेंगे कि अस्पताल बृहस्पतिवार से काम करना शुरू कर दे।
इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं शुरू हो गई थीं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने इलाज में कथित लापरवाही के चलते एक महिला की मौत के बाद संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित करने के मामले में 22 सितंबर को उप मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था और अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने को अन्यायपूर्ण कार्रवाई करार दिया था।

वरुण गांधी ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को लिखे गये अपने पत्र को साझा करते हुए निलंबन के फैसले पर तंज कसते हुए पत्र में लिखा था, ‘‘व्यापक और निष्पक्ष जांच की अनुमति दिए बिना पूरे अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करना जल्दबाजी और संभावित अन्यायपूर्ण कार्रवाई प्रतीत होती है।’’
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा था, ‘‘गहन जांच के बिना, अमेठी में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस का त्वरित निलंबन उन सभी व्यक्तियों के साथ अन्याय है जो न केवल प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बल्कि अपनी आजीविका के लिए भी संस्थान पर निर्भर हैं। जवाबदेही महत्वपूर्ण है, यह जरूरी है कि निष्पक्षता और निष्पक्षता के सिद्धांतों को बरकरार रखा जाए।’’
लखनऊ में 26 सितंबर को केंद्रीय मंत्री और भाजपा की अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी ने संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस के निलंबन के मामले को लेकर कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा था कि मृत महिला के परिवार को सहारा देने की बजाय पार्टी अपना मुनाफा बंद होने पर रो रही है।

अस्पताल के 400 से अधिक कर्मचारी लाइसेंस निलंबन के विरोध में धरने पर बैठ गये थे। स्थानीय कांग्रेस इकाई के सदस्यों ने भी निलंबन के खिलाफ अमेठी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। धरने में समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने भी उनका साथ दिया था।
कांग्रेस और सपा का धरना जहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय पर हो रहा है, वहीं अस्पताल कर्मचारियों का धरना सीएमओ कार्यालय से करीब 12 किमी दूर अस्पताल गेट पर चल रहा था।

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