ई बिहार हा! सुबह शिक्षक…रात में किराएदार, पढ़ाई के मंदिर को ही बना डाला होटल

गुलशन कश्यप/जमुई:- शिक्षा विभाग बच्चों को पढ़ाने से कहीं ज्यादा अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में बना रहता है. अभी हाल ही में जमुई के खैरा प्रखंड क्षेत्र के बरदौन उत्क्रमित मध्य विद्यालय में एक शिक्षिका के द्वारा विद्यालय के कमरे को होटल बना देने का मामला सामने आया था. शिक्षा विभाग अभी इस मामले में कार्रवाई कर भी नहीं सकी थी कि अब एक और मामला बरहट से सामने आया है. यहां एक विद्यालय प्रधान के द्वारा पिछले डेढ़ वर्षों से विद्यालय के कमरे में कब्जा किया गया है.

इस पूरे मामले में सबसे हैरान कर देने वाली बात यह रही कि जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से इस बारे में पूछा गया, तब उन्होंने इस बारे में एक शब्द कहना भी मुनासिब नहीं समझा. डीईओ अपने कार्यालय में बैठे रहे, उन्होंने फोन पर बात करना तो सही समझा, पर इस गंभीर विषय पर जवाब देना उचित नहीं समझा. ऐसे में उनकी चुप्पी को उनकी मौन स्वीकृति भी समझा जा सकता है.

बरहट प्रखंड में भी सामने आया ये मामला
दरअसल यह मामला जमुई जिला के बरहट प्रखंड क्षेत्र के नवीन प्राथमिक विद्यालय मकतब केवाल से जुड़ा हुआ है, जहां विद्यालय प्रधान मो. जमीरउद्दीन के द्वारा पिछले डेढ़ वर्षों से विद्यालय के एक कमरे पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक जमीरउद्दीन अपने पदस्थापन के बाद से लगातार इसी विद्यालय में डटे हैं. इतना ही नहीं, अपने परिवार के लोगों को भी विद्यालय में बुलाकर उनके साथ रह रहे हैं. शिक्षक का कहना है कि जब विद्यालय बन रहा था, तब उसने इसके लिए जमीन दिलवाने में काफी मदद की थी. अब इसी कारण वो विद्यालय में रह रहे हैं. शिक्षक ने कहा कि स्कूल में इसलिए रहते हैं कि बच्चों के चले जाने के बाद स्कूल की सुरक्षा हो सके. गौरतलब है कि विद्यालय में रहने को लेकर अपर मुख्य शिक्षा सचिव केके पाठक के द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं. लेकिन जमुई में उन आदेशों का असर होता नहीं दिख रहा है.

क्या डीईओ के इशारे पर चल रहा है यह खेल?
जिले में स्कूल के कमरों को आशियाना बनाने का यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. एक तरफ जहां खैरा प्रखंड में मामला सामने आने के बाद जिलाधिकारी राकेश कुमार ने विद्यालय का निरीक्षण किया था और शिक्षिका शीला हेंब्रम पर कार्रवाई की बात कही थी, तो वहीं दूसरी तरफ जिला शिक्षा पदाधिकारी ने इस मामले में चुप्पी साध ली है. डीएम के आदेश के बाद भी अभी तक इस मामले में कार्रवाई नहीं की गई है. यहां तक कि शिक्षिका से स्पष्टीकरण भी नहीं मांगा गया है, जो यह बताता है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है. इतना ही नहीं, जिस वक्त खैरा प्रखंड क्षेत्र में जिलाधिकारी विद्यालय की जांच करने पहुंचे थे, शिक्षिका को पहले से ही इसकी भनक लग चुकी थी.

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ऐसे में अब शक की सुइयां जिला शिक्षा कार्यालय की तरफ भी घूम रही हैं. इस पूरे मामले को लेकर जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से बात करने पहुंचे, तब उनका व्यवहार भी बिल्कुल इसी तरह का देखने को मिला. जिला शिक्षा पदाधिकारी चुप्पी साधे बैठे रहे और डीईओ ने इस मामले में कुछ भी नहीं कहा. ऐसे में उनकी चुप्पी को उनकी स्वीकृति समझा जाए. यह कहना गलत नहीं होगा कि जमुई जिले में स्कूलों को होटल बना दिया गया है. जिला शिक्षा पदाधिकारी उसके मैनेजर हैं और सभी शिक्षक इन होटल में गेस्ट बनकर स्कूल में पढ़ाई के बजाय इसका आनंद आशियाने की तरह ले रहे हैं.

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