ईरान के एटमी ठिकानों पर हमला जरूरी: US एक्सपर्ट बोले- पलक झपकते ही न्यूक्लियर बम बना सकता है ईरान; थर्ड वर्ल्ड वॉर का खतरा

लंदन1 घंटे पहले

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ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी की सैटेलाइट इमेज। अमेरिकी एक्सपर्ट इसी तरह की फैसेलिटीज पर हमले की  कर रहे हैं। (फाइल) - Dainik Bhaskar

ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटी की सैटेलाइट इमेज। अमेरिकी एक्सपर्ट इसी तरह की फैसेलिटीज पर हमले की  कर रहे हैं। (फाइल)

अमेरिकी डिफेंस एक्सपर्ट और पूर्व डिप्लोमैट मार्क वालेस ने कहा है कि ईरान पलक झपकते ही न्यूक्लियर हथियार बना सकता है। उनके मुताबिक- ईरान को रोकने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि अब बिना वक्त गंवाए वेस्टर्न वर्ल्ड उसके एटमी ठिकानों को तबाह कर दे।

ब्रिटिश अखबार ‘सन’ को दिए इंटरव्यू में वालेस ने माना कि मिडिल ईस्ट में जो हालात बन रहे हैं, वो तीसरे विश्व युद्ध की तरफ इशारा कर रहे हैं।

अब भी वक्त है, दुनिया जाग जाए

  • एक सवाल के जवाब में वालेस ने कहा- दुनिया किसी भी वक्त खतरे में पड़ सकती है। अब तक के हालात पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि हम ईरान के खिलाफ कोई ऐसा कदम नहीं उठा सके, जो उसे एटमी हथियार बनाने से रोक सके।
  • वालेस UN में अमेरिकी एंबेसैडर रह चुके हैं। इसके अलावा वो यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान (UANI) के CEO भी हैं। उन्होंने कहा- दुनिया के पास अब भी वक्त है कि वो नींद से जागे और ईरान के एटमी ठिकानों को फौरन तबाह करे। इसके लिए पहल वेस्टर्न वर्ल्ड को ही करनी होगी।
  • एक सवाल के जवाब में वालेस ने कहा- UANI का पहला सिद्धांत ही यह है कि वो हर उस देश को रोके जो आतंकवाद का समर्थन करता है और ऐसे गुटों को हर तरह की मदद देता है। अगर ये काम अब भी नहीं किया गया तो गंभीर नतीजे होंगे।
ईरान ने पिछले साल एक परेड में अपनी मिसाइलें दिखाईं थीं।

ईरान ने पिछले साल एक परेड में अपनी मिसाइलें दिखाईं थीं।

ईरान पर कोई रोक नहीं

  • वालेस ने कहा- ईरान दुनिया के नर्क का दरवाजा है। वो जो भी कर रहा है, उसे रोकने की कोई कोशिश रंग नहीं लाई। अब वो किसी भी वक्त और मैं तो यहां तक कहूंगा कि पलक झपकते ही एटमी हथियार बना सकता है। इससे भी ज्यादा फिक्र की बात यह है कि उसे रोकने के लिए कोई गंभीर कोशिश ही नहीं की जा रही। 2015 में हमने उससे न्यूक्लियर डील की। इसका कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि उसने ऑब्जर्वर्स को प्लांट के अंदर ही नहीं जाने दिया।
  • एक सवाल के जवाब में वालेस ने कहा- डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को रोकने की कोशिश की थी। वो कुछ हद तक कामयाब भी रहे, लेकिन इसके बाद तमाम ताकतें पीछे रह गईं और ईरान मनमानी करता रहा।

डील और नो-डील में फंसा मामला

  • करीब 23 साल से ईरान एटमी ताकत हासिल करने की कोशिश कर रहा है। 2015 में ईरान की चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के साथ एटमी कार्यक्रम बंद करने को लेकर एक डील हुई थी। ये समझौता इसलिए हुआ था क्योंकि पश्चिम देशों को डर था कि ईरान परमाणु हथियार बना सकता है या फिर वो ऐसा देश बन सकता है जिसके पास परमाणु हथियार भले ही ना हों, लेकिन इन्हें बनाने की सारी क्षमताएं हों और कभी भी उनका इस्तेमाल कर सके।
  • 2010 में ईरान को रोकने के लिए UN सिक्योरिटी काउंसिल, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने पाबंदियां लगाई थीं। इनमें से ज्यादातर अब भी जारी हैं। 2015 में ईरान का इन शक्तियों से समझौता हुआ। करीब पांच साल तक ईरान को राहत मिलती रही। जनवरी 2020 में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने समझौता रद्द कर दिया और ईरान पर सख्त प्रतिबंध लगाए। इसके बाद बाइडेन आए तो ईरान पर नर्म रुख अपनाया।

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