आशुतोष तिवारी/ रीवा: मध्यप्रदेश का रीवा शहर न सिर्फ पर्यटन और शिक्षा के लिए अलग पहचान रखता है. बल्कि ये जिला स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी जाना जाने लगा है. पूरे विंध्य से इलाज करवाने के लिए लोग रीवा का रुख करते है. रीवा का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के साथ एक से बढ़ कर एक उपलब्धि भी जुड़ रही है. सुपर स्पेशलिटी रीवा के कार्डियोलॉजी विभाग ने हार्ट के अत्यंत जटिल प्रोसीजर करके कई इतिहास रचे हैं. अब तक 6 हजार से ज्यादा लोगों की जान बचाई है. एक बार फिर इस अस्पताल के डाक्टरों ने पहली बार वर्ल्ड फेमस एलबीबी पेसिंग द्वारा पेसमेकर इंप्लांट कर मरीजों की जान बचाकर इतिहास रचा है.
रीवा की सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में यह सफल ऑपरेशन डॉ एस के त्रिपाठी, एसोसिएट प्रोफेसर कार्डियोलॉजी के द्वारा किया गया है. उन्होंने कहा कि जो पेसमेकर मरीजों को लगाए जाते हैं उनमें पेसमेकर लीड हृदय के एक चैंबर में इंप्लांट की जाती है. जिससे भविष्य में हृदय की पंपिंग कम होने का खतरा बना रहता है. लेकिन LBB PACING तकनीक में पेसमेकर की लीड हृदय के कंडक्शन सिस्टम में फिक्स की जाती है. जिससे हृदय बिलकुल सामान्य तरीके से धड़कता है. यही कारण है कि इसमें हृदय की पंपिंग कम होने का खतरा नही होता और जिन मरीजों की पंपिंग पहले से कम है वो समय के साथ इस तकनीक से इंप्रूव भी होती है.
रीवा के निवासी हैं दोनो मरीज
दोनो मरीज रीवा के निवासी है.मरीजों को बार बार चक्कर आ रहे थे. चक्कर एवम बेहोसी के साथ दोनो मरीज डॉक्टर एस के त्रिपाठी के पास पहुंचे थे. डॉ एसके त्रिपाठी ने तुरंत ईसीजी करके पता किया तो उन्हें पता चला कि मरीजों के हृदय में CONDUCTION SYSTEM या सामान्य भाषा में कहे तो हृदय की वायरिंग में समस्या है. मामले की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर एसके त्रिपाठी में दोनो मरीजों का पेसमेकर नवीनतम तकनीक से करने का प्लान बनाया. और मरीजों को इसके फायदे के बारे में विस्तार से समझाया और ऑपरेशन किया. चूंकि यह ऑपरेशन रीवा के इस सरकारी अस्पताल में पहली बार होना था. इसलिए पहले डॉक्टर एस के त्रिपाठी में CATH LAB team को प्रशिक्षित किया और दोनो प्रोसीजर सफलतापूर्वक कर मरीजों की जान बचाई. अब तक यह प्रोसीजर देश के कुछ गिने चुने सेंटर में ही किए गए हैं, उस लिस्ट में अब रीवा का नाम भी शामिल हो गया है.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2023, 22:42 IST