इस समाज की शादी बनी मिसाल,दूल्हे के पिता ने कहा- बहू के आगे करोड़ों रुपए बेकार

शुभम मरमट / उज्जैन.समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का जीता जागता उदाहरण उज्जैन में प्रजापति समाज की एक शादी में सामने देखने को मिला. देवास जिले के सोनकच्छ से बारात लेकर आए कैलाश चंद कुंभकार ने अपने इंजीनियर बेटे का विवाह उज्जैन जिले के छक्का मेल में प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक बीएल प्रजापति की बेटी से बगैर दहेज के शादी संपन्न कराई.

दूल्हे के पिता कैलाश चंद्र कुंभकार ने कहा कि बेटियां तो मां लक्ष्मी होती है. बेटी के आगमन से लक्ष्मी मां साथ ही आती हैं. बेटी से हमेशा घर परिवार मे बरकत रहती है. जरुरी नहीं हम दहेज ले, ये परम्परा अब बदलना चाहिए. माता – पिता का घर छोड़ कर बहु बेटी बनकर मेरे घर आई है. ये बड़ी सौभाग्य की बात है. बेटी के आगे जीवन भर की पूंजी भी व्यर्थ मानता हूं. करोड़ो रूपये भी दे दहेज के रूप मे तो नहीं चाहिए. वर – वधू को अच्छा आशीर्वाद दे यही कामना है. मैं समाज मे जहा भी जाता हूँ यही सन्देश देता हूँ की दहेज़ प्रथा बंद हो.

जीवन भर की पूंजी भी बेटी के आगे व्यर्थ
दुल्हन के पिता बीएल प्रजापति ने कहा कि  इस सोच का मैं सम्मान करता हूं. आज जो गरीब पिता बेटी का पालन पोषण ही मुश्किल से करता हो और उसके सामने दहेज की दिवार सामने आये तो वो क्या करेगा. मुझे ये गर्व है की मेरे समधि की यह सोच है. मेरी बेटी ललब कर रही है.उन्होंने बेटी को आगे और पढ़ाने का वादा किया है और ये भी कहा की बेटी नहीं बहु लेकर जा रहा हूँ. इसलिए आप चिंता मत करो. जितनी ख़ुशी आपके यहा मिली है बिटिया को उससे ज्यादा ख़ुशी देने की कोसिस करुँगा. ससुर नहीं पिता की तरह बेटी को ले जा रहा हूँ.

परम्परा भी निभाई गईं
जब भी बेटी विवाह के बाद घर जाती है. तो खाली हाथ नहीं जाती है. ये परम्परा बरसो से चली आयी है. दूल्हे के पिता ने केवल पांच छोटे बर्तन लेकर यह परम्परा को भी निभाया. जिसने भी यह दृश्य देखा. उन्होंने इस सोच को सलाम किया.

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