इस संग्रहालय में मौजूद है काकोरी व चौरी चौरा कांड सहित कई मुकदमों के साक्ष्य!

रजनीश यादव/प्रयागरा : प्रयागराज केवल संगम नगरी के नाम से ही नहीं न्याय नगरी के भी नाम से मशहूर है. यहां एशिया का सबसे बड़ा हाई कोर्ट स्थित है. उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी राजस्व कोर्ट भी यही स्थिति है. एशिया के किसी हाईकोर्ट में अगर सबसे ज्यादा न्यायाधीश है तो वह इलाहाबाद हाई कोर्ट में है. जहां हाल ही में हाई कोर्ट के संग्रहालय को आम लोगों के लिए भी खोल दिया गया. जिसमें मुगलों के फरमान से लेकर देश के चर्चित मुकदमे जो आजादी की लड़ाई के गवाह है उनके दस्तावेज भी यही मौजूद है.

हाई कोर्ट संग्रहालय की संयुक्त निबंधक आरती चौधरी बताती है कि पहले हाई कोर्ट इलाहाबाद के रेवेन्यू बोर्ड में चलता था. लेकिन 27 नवंबर 1916 को तत्कालीन वास लॉर्ड जेम्स का ने इसका उद्घाटन किया था. जिसका फोटो संग्रहालय में मौजूद है. संग्रहालय में महारानी विक्टोरिया का चार्ट भी है. 1861 में भारत में तीन उच्च न्यायालय बनाए गए जिम कोलकाता, मद्रास व इलाहाबाद हाई कोर्ट शामिल था.

क्या है संग्रहालय की विशेषता?
हाई कोर्ट संग्रहालय में मूल संविधान की एक कॉपी, बापू की चित्रावली, इंदिरा गांधी केस और तुलसीदास द्वारा मुगलों से समझौते का दस्तावेज भी मौजूद है. आजादी की लड़ाई के दौरान हुए चौरी चौरा कांड, काकोरी कांड सहित कई प्रमुख मुकदमों की सुनवाई के फैसले का दस्तावेज भी हाई कोर्ट संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है.आजादी के पहले जिस चेयर पर बैठकर न्यायमूर्ति फैसला सुनाते थे वह भी यहां रखा गया है. किसी विशेष अवसर पर जो कपड़े न्यायाधीश पहनते थे उसको भी रखा गया है. अंग्रेजी व्यवस्था की गवाह दे रही रामपुर कोर्ट की कुर्सी भी यही मौजूद है. इसके अलावा पुराने समय में प्रयोग किया जाने वाले कटघरे, ब्रिटिश कालीन फर्नीचर ,फारसी भाषा के निर्णय और समकालीन मुख्य न्यायाधीशों के कालक्रम के चित्र भी यहां लगाए गए हैं.

इन पर है देखरेख की जिम्मेदारी
इलाहाबाद हाई कोर्ट संग्रहालय के चेयरमैन जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता हैं उन्ही के मार्गदर्शन में म्यूजियम का प्रशासन चलता है. बाकी म्यूजियम के रोजमर्रा के प्रशासन का दायित्व आरती चौधरी (संयुक्त निबंधक), धीरज श्रीवास्तव और अंकित श्रीवास्तव (समीक्षा अधिकारी) के कंधों पर है. यहां ऐतिहासिक महत्व की चीजें हैं जो आगंतुकों को हमारी महान न्याय व्यवस्था के इतिहास की झलक दिखाती हैं. आरती चौधरी ने बताया कि हमारा प्रयास यही है कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों को इस म्यूजियम के बारे में जानकारी मिले और वे यहां आएं.

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