इस शिव मंदिर में बस करना होगा एक काम, संतान की मन्नत होगी पूरी!

सौरभ तिवारी/डोंगरगढ़ः छत्तीसगढ़ धर्म और संस्कृति का राज्य माना जाता है. यहां ऐसे देवालय हैं, जिनकी मान्यता सदियों पुरानी है. तो आज महाशिवरात्री के दिन हम आपको ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे. जहां पूजा पाठ करने से मनोकामना पूरी होती है और महा शिवरात्रि पर यहां दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर को लेकर राज्य समेत देशभर के श्रद्धालुओं में बड़ी मान्यता है.
धर्म का नगर कहा जाने वाले डोंगरगढ़ के पहाड़ों में मां बमलेश्वरी देवी मंदिर के दक्षिण पश्चिम दिशा में एक विशाल पर्वत है.

सोनू कुमार सिन्हा, मंदिर ट्रस्ट के सचिव ने बताया कि मंदिर को लेकर एक कहानी प्रसिद्ध है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी के ऊपर श्री जटाशंकर महादेव जी का मंदिर मौजूद हैं. डोंगरगढ़ में श्रीयुत भगोली जी महाराज रहा करते थे, इनका अब स्वर्गवास हो चुका है. श्रीयूत महाराज आयुर्वेदिक जड़ी बूटिया को खोजने के लिए अपने साथियों के साथ बम्लेश्वरी पहाड़ी के आस पास जाया करते थे.

एक दिन उनकी पत्नी को सपना दिखा की पहाड़ी पर भगवान शंभू महादेव उन्हें स्वयं पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दे रहे हैं. इस सपने के बारे में उन्होंने अपने पति को बताया. कुछ समय पश्चात शंभू महादेव द्वारा उनको दिया हुआ आशीर्वाद सत्य साबित हुआ.

संतान प्राप्ति की करते हैं कामना
वहीं सोनू कुमार ने बताया कि उस समय पर्वत पर मंदिर नहीं बना था. लेकिन इस स्वप्न के सच होने की बाद श्रीयूत और उनकी पत्नी की उस स्थान से अटूट श्रद्धा हो गई और वह सदैव उस स्थान को शंभू के स्थान के रूप में पूजते रहे. वह कभी भी उस स्थान को प्रणाम किए बिना नहीं गुजरते थे और उनके द्वारा हर शिवरात्रि के समय उस स्थान पर श्रीफल अर्पित किया जाता था.

समय के साथ यह बात फैली और इस जगह के प्रति लोगों की श्रद्धा भी बढ़ गई. लोग यहां आकर श्रीफल चढ़ाने लगे और उनकी संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होने लगी. आज भी यहां संतान प्राप्ति के लिए लोग श्रीफल चढ़ाने आते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु बताते हैं, कि यहां आने से उनकी हर मनोकामना पूरी होती है.

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मंदिर में लोगों का भारी जमावड़ा
उन्नहोने कहा कि इस श्रद्धा भक्ति को निरंतर आज भी श्रीयूत के पुत्रों द्वारा जारी रखा हुआ है. आज भी श्रीयूत के पुत्र हर शिवरात्रि को नियमित रूप से उस स्थान पर श्रीफल अर्पित करते आ रहे हैं. सन 1998 में वरिष्ठ शिक्षक श्री बी डी दत्ता ने इस पर्वत का जीर्णोद्धार करने का कार्य प्रारम्भ किया एवं ग्रामीण लोगों के सहयोग एवं समन्वय से इस पहाड़ी पर मंदिर का निर्माण कराया. महाशिवरात्रि के समय इस मंदिर में लोगों का जमावड़ा रहता है और सावन महीने में नागराज को यहां साक्षात देखा जा सकता है.

Tags: Bilaspur news, Chhattisagrh news, Dharma Aastha, Mahashivratri, Religion 18

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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