रोहित भट्ट/ अल्मोड़ा. उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां सदियों से देवी-देवताओं को धरती पर बुलाने की रवायत चली आ रही है. यहां ईश्वर के आह्वान के लिए कई वाद्ययंत्रों को बजाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि ये वाद्ययंत्र उन्हें अत्यधिक प्रिय हैं. इन्हीं में से एक है उत्तराखंड का पारंपरिक वाद्ययंत्र हुड़का. हुड़के (Hudka Uttarakhand) को लोक संगीत, जागर और खेतों की रोपाई के दौरान बजाया जाता है. इसकी ध्वनि से अलग ही सकारात्मक ऊर्जा निकलती है. हुड़के को बनाने का तरीका भी थोड़ा अलग है. अल्मोड़ा के थाना बाजार में वाद्ययंत्रों के विक्रेता अनिल कुमार आर्य ने ‘लोकल 18’ को हुड़का बनाकर दिखाया.
अनिल ने बताया कि हुड़के की डिमांड केवल उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विदेशों तक से आती है. दरअसल, हुड़के को बनाने वाले अब कम ही लोग हैं. इसे बनाने के लिए सबसे पहले हुड़के की नाली को तैयार किया जाता है, जिसे बरसात के दिनों में नदी किनारे मशीन लगाकर काटा जाता है. उसके बाद हुड़के का पुड़ तैयार किया जाता है. उसके बाद हुड़के में रस्सी लगाकर तैयार किया जाता है. एक हुड़के को बनाने में करीब एक घंटा लगता है. इसके बाद इसमें पानी और तेल लगाकर सूखने के लिए रख दिया जाता है. हुड़के को उत्तराखंड के लोक संगीतों, हुड़किया बौल और देवी-देवताओं के आह्वान पर बजाया जाता है.
2000 से लेकर 3000 रुपये में मिलता है हुड़का
अनिल कुमार ने बताया कि वह अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी हैं, जो आज भी पहाड़ में पारंपरिक वाद्ययंत्र बना रही है. इस तरह वह अपनी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. हुड़के की डिमांड आज उत्तराखंड ही नहीं देश-विदेश के लोग भी करते हैं. उन्होंने बताया कि एक हुड़के की कीमत 2000 से लेकर 3000 रुपये तक है. थाना बाजार में स्थित उनकी दुकान पर आपको आसानी से हुड़का मिल जाएगा. वहीं इसे ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए आप उनके मोबाइल नंबर 8859842918 पर संपर्क कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 20, 2023, 17:03 IST