इस रुद्राक्ष को है भगवान शिव का आशीर्वाद, साढ़े साती का साया होगा दूर

सच्चिदानन्द/पटना. अधिकांश लोग अपने जीवन को सही रूप से व्यतीत करने के लिए मेहनत करते हैं, ताकि उन्हें अपने क्षेत्र में सफलता और तरक्की प्राप्त हो सके. वे अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं और डॉक्टर से सलाह भी लेते हैं. हालांकि, कई बार घर-परिवार में कठिनाइयों और संकटों का सामना करना पड़ता है. ऐसे समय में, ज्योतिष शास्त्र की ओर रुख करने वाले व्यक्ति कुंडली और ग्रहों के आधार पर विभिन्न उपायों की सिफारिश करते हैं. इन उपायों में से एक उपाय है चौदह मुखी रुद्राक्ष. पटना के प्रमुख ज्योतिषविद् डॉ. श्रीपति त्रिपाठी बताते हैं कि रुद्राक्ष को भगवान शिव का महाप्रसाद माना जाता है, और चौदह मुखी रुद्राक्ष को सिर्फ भगवान शिव की कृपा का ही नहीं, बल्कि संकटमोचन हनुमान के आशीर्वाद का भी लाभ होता है.

14 मुखी रूद्राक्ष को लेकर क्या कहते हैं जानकार
ज्योतिषविद डॉ. श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार, इस रुद्राक्ष को देवमणि या महाशनि के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इसका उत्पत्ति भगवान महाकालेश्वर के तीसरे नेत्र से गिरे हुए अश्रु से हुई थी. जैसे भगवान शिव की तीसरी आंख से बुरी शक्तियों का नाश होता है, उसी तरह इस रुद्राक्ष को धारण करने से जीवन में बनी हुई नेगेटिविटी दूर होती है. इससे घर-परिवार में शांति बनी रहती है और कष्ट दूर होते हैं. इसे देवमणि या महाशनि के नाम से भी पुकारा जाता है.

क्या है इस रुद्राक्ष के फायदे
डॉ. श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार, अगर आप और आपके परिवार के सदस्य घर में दुख और अशांति भरे माहौल का लंबे समय से सामना कर रहे हैं, तो इस स्थिति में आपको इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए.  इसे महाशिवरात्रि के मौके पर गंगाजल की मदद से अभिषेक करके जरूर पहनें. जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान के साथ 14 मुखी रुद्राक्ष का धारण करता है, उससे नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है. साथ ही, यह आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करती है. इस रुद्राक्ष को धारण करने के बाद हड्डियों और मांसपेशियों की दर्द में राहत मिलती है. अगर कुंडली में साढ़े साती का साया है और इस वजह में शारीरिक के साथ-साथ मानसिक परेशानी हो रही है, तो 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ फलदाई होता है.

Tags: Bihar News, Dharma Aastha, Latest hindi news, Local18, PATNA NEWS, Rudraksh

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *