धीरज कुमार/किशनगंज. हमारे शास्त्रों में दीपावली की अमावस्या को बहुत ही खास माना गया है. वैसे तो हमारे देश में अमावस्या हर महीने होती है लेकिन दीपावली की रात्रि की अमावस्या को बहुत ही खास माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि दीपावली की रात्रि की अमावस्या यानी कालरात्रि है. यह रात साधकों के लिए बहुत खास होता है, पौराणिक कथाओं के अनुसार दीपावली की आवश्यक की रात्रि में अगर कोई साधक अपनी साधना करता है तो उनकी साधना अवश्य पूरी होती है. इस रात्रि को साधक अपने महत्वपूर्ण कार्य सिद्ध करते हैं, इसलिए इस रात्रि को कालरात्रि भी कहा जाता है. वही, तंत्र शास्त्र में कालरात्रि को एक शक्ति का रूप भी माना जाता है. कालरात्रि शक्ति की पूजा से सौभाग्य धन-धन वैभव की भी प्राप्ति होती है.
दीपावली की रात साधकों के लिए विशेष होता है. ऐसा माना जाता है कि इस रात में साधकों को अपनी साधना के लिए शांत व एकाग्रस्त स्थान का चयन करना चाहिए. यह रात कालिका रात्रि के नाम से भी जाना जाता है. वर्षों की तपस्या इस रात में पूरी होती है. मां कालिका साधकों की साधना को पूरी करती है.
मां लक्ष्मी की होती है विशेष कृपा
पंडित भूपाल झा ने बताया कि सनातन धर्म में हर महीने अमावस्या होती है, लेकिन दीपावली की रात्रि वाली अमावस्या साधकों के लिए बहुत खास होती है. ऐसा माना जाता है कि इस अमावस्या की रात्रि में साधकों के सिंह लग्न विशेष होता है. इस रात्रि में साधना करने से हर इच्छाएं माता पूरी करती है. ऐसा माना जाता है कि सिंह लग्न में मिला हुआ फल का नाश नहीं होता है. वो बढ़ता ही रहता है, इसलिए दीपावली के दिन वाली अमावस्या रात्रि में साधक अपनी साधना से अपनी इच्छाएं पूरी करते हैं. इस अमावस्या की संध्या में घर-घर लक्ष्मी घूमती है. दीपावली की रात्रि यानी अमावस्या की संध्या के वक्त मां लक्ष्मी का आगमन सभी घरों में होता है. ऐसा माना जाता है इस रात्रि में जिनके घरों में उजाला और शांति होती है, उनके ऊपर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. उनका घर हमेशा धनधान्य से पूर्ण होता है.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2023, 16:08 IST