दीपक पाण्डेय/खरगोन. वर्ष 2015 में प्रसिद्ध तेलुगु एक्टर प्रभास की फिल्म बाहुबली द बिगनिंग और बाहुबली पार्ट-2 में जिस माहिष्मती साम्राज्य को दिखाया गया था, आज हम आपको उसी माहिष्मती के एक महाबलशाली राजा भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें हजारों भुजाओं का वरदान प्राप्त था. .
दरअसल, हैहय कुल की 10वीं पीढ़ी में जन्मे भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन अपने पिता महाराज कृतवीर्य के बाद माहिष्मती (वर्तमान में मध्य प्रदेश के खरगोन जिले का महेश्वर) के राजा बने. कहा जाता है कि सहस्त्रार्जुन इतने पराक्रमी और बलशाली थे कि उन्हें राजाओं के भी राजा राजराजेश्वर कहा जाता है. विष्णु पुराण एवं कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन पुराण के अनुसार राजा सहस्त्रार्जुन भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र के अवतार थे. महेश्वर में नर्मदा नदी के किनारे उन्हें समर्पित मंदिर भी बना हुआ है.
पंद्रह हजार वर्ष की तपस्या का फल
महेश्वर स्थित त्रेता युग के श्री राजराजेश्वर सहस्त्रार्जुन मंदिर के महंत चैतन्यगिरी महाराज ने कहा कि सहस्त्रार्जुन का एक नाम सहस्त्रबाहु भी है. यह नाम उनकी कड़ी तपस्या का फल है. पुराणों के अनुसार, लगभग पंद्रह हजार साल तक उन्होंने भगवान दत्तात्रेय की कड़ी तपस्या की. इससे प्रसन्न होकर भगवान दत्तात्रेय से उन्हें 10 वरदान प्राप्त हुए. सबसे प्रमुख वरदान हजार भुजाओं का था. किसी भी युद्ध में या जरूरत पड़ने पर उनकी सहस्त्र भुजाएं प्रकट हो जाती थी, इसलिए उन्हें सहस्त्रबाहु कहा जाता है.
यह थे सहस्त्रार्जुन के गुरु
महेश्वर से 5 किलोमीटर दूर जलकोटी में सहस्त्रधारा नामक एक स्थान है. यहां सहस्त्रार्जुन ने अपनी हजार भुजाओं से नर्मदा के वेग को रोका था. यहां से 100 मीटर की दूरी पर भगवान दत्तात्रेय का एक मुखी मंदिर बना है. मंदिर के सेवादार मिलिंद यादव बताते हैं कि भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा-विष्णु-महेश के अवतार माने जाने जाते हैं. भगवान कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने दत्तात्रेय भगवान को ही अपना गुरु माना था. यह मंदिर गुरु-शिष्य के मिलन का प्रतीक और मंदिर मध्य प्रदेश का पहला और एकमात्र दत्त धाम है.
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FIRST PUBLISHED : November 25, 2023, 17:11 IST