इस राक्षस के नाम पर है बिहार के इस जिला का नाम, मोक्ष नगरी के नाम से है प्रसिद्ध 

कुंदन कुमार/गया : देश में वैसे तो कई शहर हैं, लेकिन बिहार का एक ऐसा शहर जिसके नाम के बाद आदरपूर्वक ‘जी’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. जी हां, इस शहर का नाम है गया. आदरपूर्वक इस शहर के नाम के बाद ‘जी’ लगाया जाता है. गया को गयाजी भी कहा जाता है. गया को गया जी कहने के पीछे धार्मिक कहानी है.

कहा जाता है कि एक राक्षस के नाम पर इस शहर का नाम गया पड़ा. यहां लोग दूर-दूर से अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए आते हैं, लेकिन उनमें से शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे इस स्थान के नाम के पीछे का असली कारण पता होगा. पावन तीर्थ स्थल कहा जाने वाले गया का नाम एक असुर के नाम से पड़ा था. जी हां, आपको जानकर शायद हैरानी होगी लेकिन गया का नाम गयासुर नामक एक राक्षस से पड़ा था.

मिला था वरदान, देखने और छूने वाला जाएगा विष्णुलोक
गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि प्राचीन समय में यहां एक राक्षस था जिसका नाम गयासुर था. मान्यता है कि तपस्या के कारण वरदान मिला था कि जो भी उसे देखेगा या उसका स्पर्श करेगा उसे यमलोग नहीं जाना पड़ेगा, ऐसा व्यक्ति सीधे विष्णुलोक जाएगा.

मान्यता है कि इस वरदान के कारण यमलोग सुना रहने लगा. परेशान होकर यमराज ने जब ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी को बताया कि गयासुर के इस वरदान के कारण अब पापी व्यक्ति भी बैकुंठ जाने लगे हैं. इसलिए कोई उपाय कीजिए, जिससे ये सब बंद हो सके. कहते हैं यमराज की स्थिति को समझते हुए तब ब्रह्मा जी ने गयासुर से कहा कि तुम परम पवित्र हो इसलिए देवता चाहते हैं कि हम आपकी पीठ पर यज्ञ करें.

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अपने पीठ पर यज्ञ करवाने के लिए हो गया था तैयार
गयासुर अपने पीठ पर यज्ञ करवाने के लिए तैयार हो गया. जिसके बाद गयासुर की पीठ पर सभी देवता स्थित हो गए. गायसुर के शरीर को स्थिर करने के लिए देवताओं द्वारा उनकी पीठ पर एक बड़ा सा पत्थर रखा गया. कहते हैं आज यह पत्थर प्रेत शिला कहलाता है. लेकिन इससे भी गयासुर स्थिर नही हुआ उसके बाद भगवान विष्णु ने अपने पैर से गयासुर को स्थिर किया.

मान्यता के अनुसार गयासुर के इस समर्पण से विष्णु भगवान ने उसे वरदान दिया कि अब से यह स्थान गया के नाम से जाना जाएगा. साथ ही यहां पर पिंडदान और श्राद्ध करने वाले को पुण्य और पिंडदान प्राप्त करने वाले को मुक्ति मिल जाएगी. यही कारण है जो गया को मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है. आदरपूर्वक गया के नाम के बाद जी लगाते हैं.

प्रस्ताव पारित कर बदला गया नाम
गौरतलब है कि 11 मई, 2022 को गया नगर निगम की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में गया का नाम बदलकर ‘गयाजी’ करने का प्रस्ताव पारित किया गया था. गया अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शहर है. सनातन धर्म में गया का काफी महत्त्व है. मोक्ष भूमि होने के कारण देश-विदेश से लोग यहां पिंडदान करने आते हैं. ऐतिहासिक रूप से गया प्राचीन मगध साम्राज्य का हिस्सा था. यह शहर फल्गु नदी के तट पर अवस्थित है और हिंदुओं के लिये मान्यता प्राप्त पवित्रतम स्थलों में से एक है.

गयासुर नामक दैत्य का बध करते समय भगवान विष्णु के पद चिह्न यहां पड़े थे जो आज भी विष्णुपद मंदिर में देखे जा सकते है. मुक्तिधाम के रूप में प्रसिद्ध गया (तीर्थ) को केवल गया न कह कर आदरपूर्वक ‘गया जी’ कहा जाता है.

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