सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : शहीदों की नगरी शाहजहांपुर यहां के रहने वाले शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खां ने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. इन अमर शहीदों ने काकोरी रेल एक्शन को अंजाम दिया था. जिसकी चर्चा यहां से लेकर लंदन तक हुई थी. आजादी की लड़ाई के दौरान क्रांतिकारियों द्वारा की गई गतिविधियों को शाहजहांपुर के शहीद म्यूजियम में मॉडल के जरिए प्रस्तुत किया गया है.
जीएफ कॉलेज के सामने कैंटोनमेंट की जमीन पर बने भव्य शहीद संग्रहालय में पैर रखने वाले लोग देश की आजादी के लिए अमर शहीदों के संघर्ष और बलिदान से रूबरू होकर बाहर निकलेंगे और उनकी छाती गर्व से चौड़ी हो जायेगी.
इन गतिविधियों को किया गया प्रदर्शित
शहीद संग्रहालय में 1857 की क्रांति से लेकर 1947 तक के आजादी के इतिहास का सिलसिले वर वर्णन किया गया है. शहीद संग्रहालय में काकोरी रेल एक्शन, अंग्रेजों से लोहा लेती झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, इलाहाबाद जेल में कैद ठाकुर रोशन सिंह का किताब पढ़ते हुए दृश्य और काकोरी एक्शन से संबंधित अदालत का दृश्य भी मॉडल के जरिए प्रस्तुत किया गया है. शहीद संग्रहालय में एक लाइब्रेरी भी बनी हुई है. लाइब्रेरी में स्वतंत्रता संग्राम, काकोरी एक्शन, अमर शहीदों द्वारा लिखी हुई किताबें और रचनाएं रखी गई.
रंगमंच के लिए ओपन थिएटर भी बनाया गया
शहीद नगरी शाहजहांपुर की पहचान रंगमंच के लिए भी होती है. ऐसे में शहीद संग्रहालय में एक ओपन थिएटर भी बनाया गया है. जिसमें 200 लोगों के बैठने की व्यवस्था है. इसके अलावा कलाकारों के लिए ग्रीन रूम बनाया गया है. शहीद संग्रहालय के सामने सेना के दो बड़े टैंक भी रखे गए हैं. इन टैंक के बीच में शहीद संग्रहालय के सामने शानदार फव्वारा भी बनाया गया है जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा रहा है.
करोड़ों की लागत से बना म्यूजियम
शहीद संग्रहालय का लोकार्पण वर्ष 2022 में किया गया था. यह शहीद संग्रहालय करीब 9 करोड रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ. जिसमें 5 करोड रुपए केंद्र सरकार ने और 4 करोड रुपए प्रदेश सरकार ने दिए और शहीद संग्रहालय के लिए जमीन कैंट बोर्ड ने दी है.
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FIRST PUBLISHED : November 12, 2023, 16:45 IST