इस माता के मंदिर में मन्नत पूरी होने पर लोग चुनरी के साथ चढ़ाते हैं जेवरात, पुजारी ने कही ये बड़ी बात 

विशाल कुमार/छपरा : शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. छपरा के विभिन्न मंदिरों में पूरे विधि-विधान के साथ मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जा रही है. इस खास मौके पर माता शाकंभरी मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ पूजा-अर्चना के लिए जुट रही है. शहर के बीचो-बीच स्थित माता शाकंभरी के मंदिर में लोगों की खास आस्था है. खासकर लोग यहां मन्नत मांगने अधिक पहुंचते हैं. यहां मन्नत पूरी होने पर माता को चुनरी के साथ जेवरात भी चढ़ाते है.

बताया जाता है कि राजस्थान के शाकंभरी माता के मंदिर की तरह छपरा में 2010 में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यह भी कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं. उन भक्तों का मनोकामना मां पूरा करती है. इसके बाद श्रद्धालु खुश होकर चुनरी सहित अपने श्रद्धा से जेवराज भी चढ़ाते हैं.

माता शाकंभरी भक्तों की मुराद करती हैं पूरी

शाकंभरी मंदिर पूजा-अर्चना करने पहुंची श्रद्धालु रेखा रानी ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से यहां पूजा करने आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि दुर्गा मां से गहरा लगाव है. जो भी सच्चे दिल से यहां मन्नत मांगते हैं. उनका मनोकामना माता रानी पूरा करती है. उन्होंने बताया कि मां से मन्नत मांगा था और मेरी मनोकामना मां ने पूरी कर दी है. मां की कृपा से काफी खुश है और इसलिए मंदिर में आकर चुनरी के साथ सोने की बिंदिया और पायल मां को श्रद्धा पूर्वक चढ़ाया है.

माता शाकंभरी पूर्ण वैभव में है विराजमान

मंदिर का महत्व बताते हुए पुजारी पंडित रंगनाथ तिवारी ने बताया कि सभी मंदिरों का महत्व उसमें स्थित देव विक्रह होते हैं और यहां इस मंदिर पर शाकंभरी पीठ है. उन्होंने बताया कि माता शाकंभरी पूर्ण वैभव में विराजमान है. जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं. उनकी मनोकामना माता पूर्ण करती है. माता शाकंभरी भरण-पोषण करने के रूप में विख्यात है.

उन्होंने बताया कि एक समय अकाल पड़ा था और माता ने द्रवित होकर जो नेत्र से आंसू बहाया था उसे पीकर लोग जीवित रहे. माता के शरीर में जो रोम था वह साक में परिवर्तन हो गया, जिसको लोक भाषा में सांग कहा जाता है. इसे खाकर ही लोग जीवित रहे थे. तब से शाकंभरी के नाम से माता मशहूर हो गई. उन्होंने बताया कि माता शाकंभरीका मूल मंदिर राजस्थान में है.

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