इस महीने में जप, तप से बनते हैं हर बिगड़े काम, पूरी होती हैं मनोकामनाएं…

कुंदन कुमार/गया. मार्गशीर्ष महीने में जप, तप और ध्यान से हर बिगड़े काम बन जाते हैं. इस महीने में कान्हा के मंत्रों का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. हिन्दू पंचांग का 9वां महीना मार्गशीर्ष है. मार्गशीर्ष माह को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. इसे अगहन का महीना भी कहते हैं. मार्गशीर्ष का महीना कृष्ण भक्तों के लिए विशेष है. कहते हैं इस महीने में जप, तप और ध्यान से हर बिगड़े काम बन जाते हैं. इस महीने में कान्हा के मंत्रों का जाप करने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

श्रीमद्भगवद्गीता में अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि ‘मासानां मार्गशीर्षो अहम्’ सभी महीनों में मार्गशीर्ष मेरा ही स्वरूप है. मार्गशीर्ष मास में कपूर का दीपक जला के भगवान को अर्पण करनेवाला अश्वमेध यज्ञ का फल पाता है और कुल का उद्धार कर देता है. इस मास में विष्णुसहस्त्र नाम, श्रीमद्भागवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष पाठ की खूब महिमा है. इन तीनों का पाठ अवश्य करें. इस मास में अपने गुरु को, इष्ट को ‘ॐ दामोदराय नमः’ कहते हुए प्रणाम करने की बड़ी भारी महिमा है.

भगवान श्रीकृष्ण को नहलाते हैं तो…
गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि जो उपासक मार्गशीर्ष के महीने में शंख में तीर्थ का जल लेकर उसकी एक बूंद से भी भगवान श्रीकृष्ण को नहलाता है. वह अपने समूचे कुल को तार देता है. जो भक्ति पूर्वक शंख ध्वनि कर के श्रीकृष्ण को स्नान कराता है, उसके पितर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होते हैं. शंख में जल लेकर “ॐ नमो नारायणाय” का उच्चारण करते हुए इन्हें नहलाता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है. तुलसी काष्ठ का धिसा हुआ चन्दन इन्हें अर्पण करता है, उसके सौ जन्मों के समस्त पातकों को वह भस्म कर देते हैं.

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घर में कुछ भी अशुभ नहीं होता
कलियुग के मार्गशीर्ष मास में तुलसी काष्ठ का चन्दन देते है, वे निश्चय ही कृतार्थ हो जाते हैं. जो शंख में चन्दन रखकर मार्गशीर्ष मास में भगवान कृष्ण के अंगो में लगाता है. उसके ऊपर उनका विशेष प्रेम रहता है. जो मार्गशीर्ष में तुलसीदल ओर आंवलों से भक्ति पूर्वक इनकी सेवा करता है, वह मनोवांछित फल को पाता है. शंख में फूल, जल और अक्षत रखकर इन्हें अर्घ्य देता है उसे अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. जो वैष्णव इनके मस्तक पर शंख का जल घुमाकर उसे अपने घर में छिड़कता है, उसके घर में कुछ भी अशुभ नहीं होता. मृदंग और शंख की ध्वनि तथा प्रणव (ॐकार) के उच्चारण के साथ किया हुआ पूजन मनुष्यों को सदैव मोक्ष प्रदान करने वाला है.

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