विक्रम कुमार झा/पूर्णिया. दुर्गा पूजा अब अंतिम चरण में है, लेकिन आज हम एक ऐसे पूजा पंडाल के बारे में बता रहे हैं जो केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए होता है. इस परंपरा की शुरुआत 1956 में हुई थी, जब रेलवे, डाक, और टेलीग्राफ विभाग एक साथ आए थे. 1956 में ही पूर्णिया के इस मंदिर का निर्माण हुआ था. तब से लेकर आज तक यह परंपरा कायम है. कहा जाता है कि जब रेलवे विभाग, डाक विभाग, और बीएसएनएल टेलीकॉम विभाग एक साथ हुए थे, तो पूर्णिया के इस मंदिर का निर्माण हुआ था. लोगों की आस्था और विश्वास इस मंदिर पर इतनी बढ़ गई है कि आज भी यहां हर साल विभिन्न शानदार आयोजन होते हैं. इस मंदिर में आने वाले यात्री सुनिश्चित रूप से देवी के दिव्य दर्शन के बाद आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए ठहरते हैं.
तीनों ऑफिस हुआ करते थे साथ, तब हुई थी शुरुआत
रेल, डाक और टेलीग्राफ विभाग जब साथ में थे, तब इस मंदिर की स्थापना 1956 में की गई थी. पूर्णिया डाकघर के पोस्टमास्टर अवधेश कुमार मेहता, डिप्टी पोस्टमास्टर देवानंद सहाय, राजेश कुमार, नवीन कुमार, उमेश कुमार सहित अन्यों ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1956 ईसवी में की गई थी, जब रेलवे विभाग, डाक विभाग, और बीएसएनएल ऑफिस तीनों एक साथ मिले थे. स्वर्ग रामानंद प्रसाद, जो पोस्ट विभाग में कार्यरत थे, ने इस मंदिर की स्थापना कराई थी और उनके सहयोग से यह कार्य संभावित हुआ था. जब रेलवे विभाग अलग हो गया, तब पोस्ट विभाग ने इस मंदिर की पूरी देखरेख करना आरंभ किया.
इन सभी सरकारी कर्मियों के सहयोग से हर साल होती पूजा
इस मंदिर में पूजा करने के लिए पूर्णिया प्रमंडल के सभी पोस्ट ऑफिसों के कर्मी चंदा देते हैं, और यहां आने वाले अन्य लोग भी अपने आस्था और विश्वास के साथ चंदा देते हैं, जिसे संग्रहित किया जाता है. नवरात्रि के मौके पर, मंदिर में मां दुर्गा की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं, लेकिन रोजाना यहां पर छोटी प्रतिमा भी लगी रहती है. पूर्णिया पोस्ट ऑफिस के पोस्टमास्टर अवधेश कुमार मेहता बताते हैं कि मंदिर पूर्णिया के पोस्ट ऑफिस भवन कैंपस में स्थित है और यहां के सभी पोस्ट ऑफिसों के कर्मियों से चंदा जमा किया जाता है. नवरात्रि के नवमी रात को, जागरण का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आप सभी भक्त भगवान की भक्ति करने के लिए एकत्र आ सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 22, 2023, 13:34 IST