जबलपुर. विघ्नहर्ता गणेश सभी के दुखों और समस्याओं का निवारण करते हैं, इसीलिए सर्वप्रथम हर काम की शुरुआत में उन्हें पूजा जाता है. संस्कारधानी में भी विघ्नहर्ता के विभिन्न मंदिर स्थापित हैं, गंजीपुरा स्थित शेषनाग गणेश मंदिर अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए हैं. न केवल जबलपुर के लोग बल्कि पूरे मध्य प्रदेश और भारत से लोग इस प्रसिद्ध गणेश मंदिर की मनमोहक छवि को देखने और दर्शन पाने आते रहते हैं.
नागपुर के टेकड़ी गणेश का हैं स्वरूप
शेषनाग गणेश मंदिर के पुजारी जी ने बताया कि गणेश जी का यह शेषनाग मंदिर अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए है, जबलपुर की गंजीपुरा स्थित व्यापारी संघ द्वारा आज से लगभग 50 वर्ष पूर्व से गणेश चतुर्थी में हर साल अलग-अलग गणेश मूर्तियां स्थापित करके पूजन किया जाता था, वे लोग कभी लड्डू से, कभी मुद्राओं से तो कभी फलों से गणेश जी बनाकर उनकी स्थापना किया करते थे और अनंत चतुर्दशी को उनका विसर्जन करते थे.
आज से लगभग 27 वर्ष पूर्व जबलपुर के व्यापारी संघ ने नागपुर के प्रसिद्ध टेकड़ी गणेश मंदिर से थोड़ी सी मिट्टी लाई और इसी स्थान पर गणेश चतुर्थी में मिट्टी के गणपति स्थापित कर दिए, भव्य पूजन अर्चन के बाद अनंत चतुर्दशी में जब गणपति विसर्जन का वक्त आया तब स्थापित मूर्ति को उठाने के लिए लोगों द्वारा बेहद प्रयास किए गए.
मूर्ति नहीं हुई थी टस से मस
मूर्ति उठाने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए गए यहां तक की क्रेन भी बुलाया गया परंतु नागपुर की मिट्टी की ये मूर्ति टस से मस तक नहीं हुई. तब व्यापारी संघ ने निर्णय किया कि नागपुर टेकड़ी गणेश की मिट्टी से यहां पर शेषनाग गणेश मंदिर की स्थापना कराई जाएगी जिसके लिए विशेष कलाकार बुलाए गए और इस प्रकार गंजीपुरा में भव्य शेषनाग गणेश मंदिर की आधारशिला जबलपुर में रखी गई.
गणेशों में लगता है भव्य मेला
पुजारी जी ने बताया की जबलपुर गंजीपुरा क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध शेषनाग गणेश मंदिर में प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के समय हजारों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं जिससे यहां मेला सा लग जाता है, प्रसाद वितरण और विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है, और इस मनमोहक गणेश प्रतिमा को देखने पूरे मध्य प्रदेश के लोग बड़े उत्साह के साथ दिन रात पहुंचते है.
गणपति की रक्षा के लिए मंदिर में शेषनाग विराजमान है जिनके नाम पर शेषनाग गणेश मंदिर नाम रखा गया है, साथ ही यहां अत्यंत प्राचीन वृक्ष भी है जिस पर सभी देवी देवता भोलेनाथ, मां दुर्गा और साईं बाबा की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 15, 2023, 17:51 IST