इस मंदिर में पांडव पुत्र अर्जुन ने की थी तपस्या,दूर दूर से आते है भक्त

दीपक पाण्डेय/खरगोन :मध्यप्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से लगभग 72 किलोमीटर दूर आशापुर गांव में भव्य मंदिर में विराजित है मां आशापुरी. मंदिर का इतिहास पांडव कालीन बताया जाता है. यहां पांडव पुत्र अर्जुन ने विध्यांचल पर्वत पर तपस्या करके माता को प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया था, साथ ही मांडव के राजा आला ऊदल ने भी तपस्या कर माता को प्रसन्न किया था. सभी की आशाओं को पूरा करने वाली मां आशापुरी धाम में नवरात्रि के दौरान रोजाना हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते है. 20 से ज्यादा गांवों से चुनरी पहुंचती है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. माता सभी की आशाओं को पूरा करती है.

मंदिर ट्रस्ट के त्रिलोक यादव  ने कहा कि मां आशापुरी माताजी का यह मंदिर पांडव कालीन है. इसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. इसके साथ ही राजा मांधाता की यह कुलदेवी है. उनके वंशज आज भी आशापुरी माता के पूजन के लिए मंदिर आते है. इसके अलावा पृथ्वीराज सिंह चौहान सहित मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान के 28 गोत्र के लोग माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है.

पहले गुफा में विराजित थी माता
मंदिर में रखे शिलालेख के अनुसार पहले गुफा में माता विराजमान थी. 800 साल पहले मंदिर का पहली बार जीर्णोद्धार हुआ. इसके बाद दूसरी बार वर्ष 2012 में मंदिर को भव्य रूप प्रदान करने के लिए पुनः जनसहयोग से जीर्णोद्धार हुआ. आज मंदिर भव्य रूप में स्थापित है. मंदिर में मां आशापुरी के साथ महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, सात मात्रा देवी, नवग्रह देवता, श्रीगणेश जी, भगवान शिव और भैरव विराजित है.

सभी आशाओं को पूरा करती है माता
त्रिलोक यादव आगे कहा कि नाम के अनुरूप माता भक्तों की सभी आशाओं को पूरा करती है. विवाह, सुनी गोद भरना, बीमारियों को दूर करने जैसी सभी कुरादें भक्तों की पूरी होती है. नवरात्रि में यहां नौ दिनों तक सतचंडी महायज्ञ चल रहा है. वैदिक रीति रिवाज से पूजन, माता के श्रंगार के साथ ही दिनभर भक्तों को खिचड़ी प्रसादी का वितरण हो रहा है.

इस दिन होती है स्पेशल आरती –
सप्ताह में दो दिन यहां विशेष आरती होती है. मंगलवार को होने वाली आरती में पांच हजार से ज्यादा श्रद्धालु शामिल होते है. इस दिन माताजी के ध्वज को गांव में भ्रमण के लिए निकाला जाता है. रात्रि 8 बजे भव्य आतिशबाजी के साथ आरती होती है. वहीं गुरुवार को छोटे छोटे बच्चो द्वारा आरती की जाती है. इस दिन मंदिर की सफाई, पूजा, आरती, प्रसादी वितरण सहित पूरी व्यवस्था बच्चो द्वारा ही की जाती है.

गार्डन बना भक्तों का आकर्षण का केंद्र –
मंदिर ट्रस्ट द्वारा पूरे मंदिर परिसर को लाइटिंग और फूलों से सजाया गया है. साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश से मंदिर के पीछे एक सुंदर गार्डन बनाया गया है. जहां भगवान शिव की विशाल प्रतिमा विराजित है. फाउंटेन, झोपड़ी, झरना, हरियाली, आकर्षक लाइटिंग से सजाया गया है. को भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. भक्त माता के दर्शन के साथ ही यहां सेल्फी भी लेते है.

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