शादाब चौधरी/मंदसौर: जिले के गांव चिरमोलिया में एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्त मनोकामना पूरी होने पर घड़ी चढ़ाते हैं. खास बात यह कि मंदिर में न कोई देवता हैं और न ही कोई पंडित, फिर भी यह मंदिर हज़ारों लोगों की आस्था का केंद्र है. जानकार बताते हैं कि यदि इस मंदिर में कोई भी शख्स मन्नत मांगता है और मन्नत पूरी होती है तो यहां घड़ी चढ़ाई जाती है. यह परंपरा सालों से चली आ रही है.
सगज बाऊजी मंदिर के बारे में मान्यता है कि अगर आपका समय खराब चल रहा है और आप यहां आकर अगरबत्ती जलाकर मन्नत मांगते हैं तो वह पूरी होती है. मन्नत पूरी होने पर लोग घड़ी चढ़ाते हैं. बड़ी संख्या में लोग अपने बुरे समय को अच्छे में तब्दील करने के लिए सगज बाऊजी के द्वार पर आते हैं. हजारों लोग यहां मन्नत मांग चुके हैं और पूरी होने पर घड़ी भी चढ़ा चुके हैं. मंदिर में हजारों घड़ियां देखने को मिलती हैं.
नदी में बहा देते हैं घड़ी
मंदिर में चढ़ाई जाने वाली हजारों घड़ियां साल में एक बार नदी में बहा दी जाती हैं. खास बात यह कि मंदिर में आज तक ताला नहीं लगाया गया है, बावजूद इसके यहां चढ़ाई जाने वाली घड़ियों को कोई नहीं चुराता. मंदिर का इतिहास बरसों पुराना है. सालों पहले पेड़ के नीचे मौजूद एक चबूतरे पर सगज बाऊजी आराम फरमाते थे. अब पेड़ के नीचे मंदिर बनवा दिया गया है.
अब बन गया यहां मंदिर
चिरमोलिया गांव के निवासी और मंदिर के जानकार पुरालाल लोहार ने बताया कि पहले सगज़ बाऊजी का स्थान बड़ के पेड़ के नीचे था. अब मंदिर का निर्माण कर दिया गया है. जो भी व्यक्ति मंदिर में मन्नत मांगने आता है, वह मन्नत पूरी होने पर यहां घड़ी चढ़ाता है. घड़ी चढ़ाने की परंपरा मोबाइल के गुम हो जाने से जुड़ी है.
मोबाइल गुम होने से जुड़ा है किस्सा
पुरालाल बताते हैं कि करीब 15 साल पहले गांव के ही एक व्यक्ति बाइक पर सवार होकर जा रहे थे. उसी दौरान उनका मोबाइल गुम हो गया. उन्होंने पेड़ के नीचे स्थित सगज़ बाऊजी के स्थान पर अगरबत्ती लगा कर मन्नत मांगी कि अगर उनका मोबाइल मिल गया तो वह यहां घड़ी चढ़ाएंगे. कुछ ही समय में उनका खोया मोबाइल मिल गया और तब से यहां घड़ी चढ़ाने का सिलसिला शुरू हो गया.
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FIRST PUBLISHED : October 16, 2023, 20:31 IST