इस मंदिर में चरवाहे के कांधे पर बैठकर पहुंची थीं मां,बाघ करने आते थे दर्शन

अनुज गौतम/सागर :नवरात्रि पर आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए भक्तों के द्वारा उनकी खूब पूजा अर्चना की जा रही है. सुबह शाम देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड रही है. ऐसे ही सागर शहर के प्रसिद्ध और प्राचीन बाघराज मंदिर में भी आस्था का सैलाब दिखाई दे रहा है. 300 साल पुरानी मंदिर में हरसिद्धि माई विराजमान है. जिनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. कहा जाता है कि प्राचीन समय में इस इलाके में बाघों का राज हुआ करता था और बाघ प्रतिदिन माता के दर्शन करने के लिए आते थे, इसलिए इस मंदिर और इस इलाके का नाम बाघराज के नाम से जाना जाता है.

इस मंदिर को लेकर अलग-अलग किवदंतिया भी सुनने को मिलती हैं. मंदिर की पुजारी बताते हैं कि रानी में जो हजारों साल पुराना मंदिर हैं वहां से माता चलकर आ रही थी रास्ते में उन्हें चरवाहा मिला जिसने उसे कन्या से पूछा की कहां जाना है तो उन्होंने कहा कि इसी दिशा में आगे बढ़ाना है. तब चरवाहा उसे कन्या को अपने कंधे पर बिठाकर आगे बढ़ा मंदिर वाली जगह पर आकर वह कन्या प्रतिमा के रूप में बदल गई. तब से ही यहां पर माता विराजमान है और अब सभी लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

गुफा में रहते हैं अजगर दादा
वहीं इसके अलावा यहां पर एक अजगर दादा की किवदंती भी हैं. ऐसा बताया जाता है कि यहां पर एक गुफा है, जिसके अंदर भारी भरकम अजगर रहते हैं और भी हर बार किसी न किसी रूप में माता के दर्शन करने जरूर आते हैं. और इसके साक्ष्य भी मिल जाते हैं इनकी विशालता इतनी है कि कभी भी किसी ने अजगर को पूरा नहीं देखा है. 15 से लेकर 20 फीट तक भी कई बार गुफा से बाहर निकल चुके हैं. उनकी मोटाई भी दो से तीन फीट तक बताई जाती है, हालांकि पिछले 10-15 साल से वह दिखाई नहीं दिए हैं. स्थानीय लोगों को कहना है कि उनकी उम्र ज्यादा होने की वजह से खिसकने में परेशानी होती है.

प्यारा सजा हैं दरबार
रंग बिरंगी रोशनी से जगमगाता ये प्यारा दरबार मां भवानी हरसिद्धि देवी बाघराज मंदिर का है. 300 साल से अधिक पुराने इस मंदिर का कुछ समय पहले पुनर्निर्माण कराया गया है. शारदीय नवरात्र पर्व पर बाघराज मंदिर के शिखर से लेकर पूरे मंदिर और परिसर को बहुत करीने से सजाया गया है. जिससे मंदिर की छटा बहुत ही आकर्षक और निराली है. नवरात्र में यहां रोजाना भक्तों की भीड़ रही, परंतु महाअष्टमी और नवमी पर भक्तों की कतार लगी रही. किंवदंती है कि कभी यहां शेर भी हरसिद्धी मां के दर्शन के लिए आते थे.

Tags: Local18, Madhya pradesh news, Religion 18, Sagar news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *