मोहित भावसार /शाजापुर :माँ राजराजेश्वरी की नगरी के नाम से प्रसिद्ध शाजापुर जिला अपनी कई प्राचीन और ऐतिहासिक छाप छोड़े हुए है.यहां आज भी कई प्राचीन धरोवर देखने को मिल जाती है.इन्ही में से एक प्राचीन और ऐतिहासिक और महाभारतकालिन गुप्तेश्वर के नाम से प्रसिद्ध शिव मंदिर है.जिसे पाण्डुखोह या पाण्डुखोरा के नाम से भी जाना जाता है.
लोकल 18 से चर्चा के दौरान वर्ष 2000 से इस शिव मंदिर में अपनी सेवाएं दे रहे महंत लक्ष्मीपूरी ने कहा कि यह महाभारत कालीन शिव मंदिर है. अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने इस शिव मंदिर कि स्थापना की थी. तब से लेकर आज तक इस मंदिर को पाण्डुखोरा के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. मंदिर में दर्शन के लिए दूर दूर से भक्त आते हैं.
पहले थी गुफ़ा, बाद में हुआ मंदिर का निर्माण
महाभारत कालीन यह मंदिर पहले एक गुफ़ा हुआ करती थी.जहाँ पर पांडवो ने कई वर्षो शिव की आरधना की.मंदिर के महंत लक्ष्मणपुरी बताते हैं कि पुराने समय में गोपेश्वर महादेव एक गुफा में मौजूद थे, जिसे बाद में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक मंदिर का रूप दे दिया गया है. मंदिर में दर्शन पूजन के साथ ही श्रद्धालु परिवार सहित पिकनिक आदि करने के लिए भी आते रहते है.मंदिर की प्राचीनता को लेकर कई तरह की कहानियाँ प्रचलन में है. यहां शिवपुराण सहित कई पुराणों का उल्लेख यहां मिलता है.
बरसात में यह स्थल और भी बन जाता है रमणीय
महंत लक्ष्मीपूरी बताते है कि यहां आसपास हरियाली होने से यहां बारिश के दिनों में लोगों का जमावड़ा देखने को मिलता है.आसपास हरियाली के बीचोंबीच से एक नदी गुजरती है जो बरसात के दिनों में इसमें पानी का बहाव होता है. बरसात के दिनों में अक्सर लोग यहां पिकनिक करने को आते है.महंत लक्ष्मीपूरी बताते है कि इस मंदिर में जो भी भक्त शिव जी से सच्चे मन से कुछ मांगता है तों उसकी मनोकामना पूरी होती है.
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FIRST PUBLISHED : March 15, 2024, 09:39 IST