इस मंदिर की अद्भुत कहानी, बाबा की धड़कन से निलकती थी सीता-राम की ध्वनि

आलोक कुमार/गोपालगंज. उचकागांव प्रखंड के मीरगंज मुख्य पथ पर स्थित बाणगंगा नदी के तट पर इटावा धाम है. इसका इतिहास काफी पुराना है. यहां के महान संत श्री श्री 108 श्री रामशरण दास जी महाराज उर्फ इटवा बाबा की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. इस प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पर संत इटवा बाबा की समाधि है. जहां साल भर उनके अनुयायियों का आना-जाना लगता है. इटवा बाबा आध्यात्मिक ज्ञान और चमत्कारों के लिए जाने जाते थे.

दरअसल, कभी इटवा धाम मंदिर के पास श्मशान हुआ करता था. वहां साल भर हर दिन किसी न किसी शव का अंतिम संस्कार किया जाता था. कई साल पहले 25 साल की आयु में संत इटवा बाबा यहां पहुंचे थे. यही तपस्या कर लोगों की मदद करते हुए भगवान के चरणों में अपना सब कुछ न्योछावर कर भक्ति में लीन हो गए. बाबा की भक्ति को देख हथुआ राज की महारानी ने इस स्थान से श्मशान हटाकर नदी के उस पार कर दिया और यहां सीता-राम का मंदिर बनवा दी. यह मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है. मंदिर के अंदर ही इटवा बाबा की समाधि है. नक्काशीदार दरवाजे हैं. मंदिर के बाहर विशाल परिसर है, जिसमें एक गौशाला, एक आश्रम और एक तालाब है.

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धड़कन में सुनाई देती थी सीता-राम की ध्वनि

इटावा धाम गोपालगंज जिले में लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है. यहां हर साल नवरात्रि, शरद पूर्णिमा और अन्य धार्मिक अवसरों पर मेला लगता है. लाखों श्रद्धालु इटावा धाम आते हैं और इटवा बाबा की समाधि पर पूजा करते हैं. यह शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक स्थान है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को शांति और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है. यहां के महंत श्री श्री ने बताया कि श्री श्री 108 श्री राम जी दास जी महाराज कहते थे कि इटवा बाबा की जब तबीयत खराब हुई थी, तो डॉक्टर द्वारा की गई जांच के दौरान उनके दिल से सीताराम की ध्वनि सुनाई दे रही थी. यह सुन डॉक्टर भी हैरान हो गए थे.

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