इस मंदिर का 1920 से लेकर आजतक यह मुस्लिम परिवार है संरक्षक, बड़ी रोचक है इसके पीछे की कहानी

धीरज कुमार/किशनगंज : आस्था और विश्वास के सामने धर्म की दीवार भी गिर जाती है. ऐसा ही कुछ सैकड़ों वर्ष पहले बिहार के किशनगंज में हुआ था. मंदिर के पुजारी अशोक झा ने बताया कि किशनगंज के कोचाधामन प्रखंड के अलता स्टेट के जमींदार अली मुजफ्फर को बेटा नहीं हो रहा था. तो ग्रामीणों और अपने करीबियों के कहने पर अल्ता हाट के सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में 1920 में उन्होंने मूर्ति पूजा कराई थी. और कहते हैं कि दुर्गा माता की असीम कृपा से उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी.

तब से लेकर आज तक उनके परिवार के लोग आज भी इस मंदिर के प्रति अपनी श्रद्धा रखते हैं. हर वर्ष दुर्गा पूजा में भाग भी लेते हैं. वे लोग इस मंदिर के संरक्षक के तौर पर हमेशा से खड़े रहे हैं और हर वर्ष दुर्गा पूजा में भाग भी लेते हैं.

अली मुजफ्फर साहब ने इस मंदिर में कराई थी मूर्ति पूजा 

Local-18 बिहार से बात करते हुए अलताहाट सार्वजनिक दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित अशोक झा ने बताया कि आज से सैकड़ों वर्ष पहले पुत्र रत्न की प्राप्ति को लेकर अलता एस्टेट के जमींदार स्व.अली मुजफ्फर साहब ने इस मंदिर में मूर्ति पूजा कराईथी.मां दुर्गा से मन्नत मांगी थी और ऐसा कहा जाता है कि उनकी पूजा करवाने के उपरांत माता की कृपा से उन्हें चार पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी. तब से लेकर आज तक हर वर्ष दुर्गा पूजा में इस मंदिर में अलता एस्टेट जमींदार के परिवार के सदस्य आज भी हिस्सा लेते हैं और संरक्षक की भूमिका निभाते हैं.

हिंदू-मुस्लिम दोनों मिलकर लेते हैं हिस्सा

पंडित जी आगे कहते हैं कि हमलोगों को जब भी जरूरत पड़ती है, जब कभी कोई दिक्कत होती है.तो इस मंदिर के कार्यक्रम को लेकर तो अलता एस्टेट जमींदार परिवार के लोग खड़े होते है.दुर्गा पूजा में यहां पर हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग हिस्सा लेते हैं. एक दूसरे को सहयोग करते हैं. आज के इस दौर में जहां लोग एक दूसरे के प्रति छींटाकशी कर रहे हैं. वहीं इसके ठीक विपरीत किशनगंज के इस अलताहाट सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में दुर्गा पूजा के अवसर पर यहां गंगा जमुना तहजीब की मिसाल देखने को मिलती है. बड़े ही प्यार से सभी भक्तगण यहां आकर माता के दरबार में हिस्सा लेते हैं.

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