कुंदन कुमार/गया. देश में खान-पान को खास तवज्जो दी जाती है. हर राज्य में अलग-अलग डिश की अपनी पहचान है. खानपान के मामले में बिहार भी कम नहीं है. यहां भी कई तरह के डिश बनाए जाते है जो देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है. इसमें खासतौर पर तिलकुट, लाई, पेड़ा, अनरसा, खुरमा, खाजा है. इसी कड़ी में गया में एक जायकेदार चीज है बाकरखानी. इसे इस्लाम धर्म के लोग ज्यादा पसंद करते हैं. यहां नेग में इसे देने की परंपरा है. इसके साथ ही बारातियों की भी स्वागत इससे ही होती है.
मीठी रोटी के नाम से है प्रसिद्ध
बिहार के गया में बड़े पैमाने पर बाकरखानी बनाई जाती है और यहां तीन चार बड़ी बेकरी हैं. आज भी शहर के छत्ता मस्जिद के पास बाकरखानी की सोंधी खुशबू लोगों को खूब आकर्षित करती है. इसे मुस्लिम समुदाय के अलावे अन्य समाज के लोग भी बेहद पंसद करते हैं. अन्य समाज के लोग इसे बाकरखानी के नाम से नहीं बल्कि मीठी रोटी कहते हैं. बाकरखानी बहुत ही मुलायम और स्वादिष्ट होती है. इसकी बिक्री सालों भर होती है. मुस्लिम समुदाय की शादियों के वक़्त भी इसकी बिक्री बढ़ जाती है. बारातियों का स्वागत भी बाकरखानी से होती है.
बाकरखानी देकर होती है बेटियों की विदाई
बाकरखानी के बारे में कहा जाता है इसके बिना बेटियां ससुराल नहीं जातीं. गया में बाकरखानी देकर बेटियों की विदाई की बहुत पुरानी परंपरा है. शादी में 101 से 151 पीस तक बाकरखानी का नेग देकर भेजा जाता है. गया के छत्ता मस्जिद इलाका में दाखिल होते ही बाकरखानी की भीनी-भीनी खुशबू खिंचने लगती है. इसे बनाने में ख़ब मेहनत लगती है. तब जाकर इसका स्वाद मजेदार होता है.
गया को बाकरखानी की मंडी भी कह सकते हैं. गया की बाकरखानी देश-विदेश में अपने स्वाद के लिए मशहूर है. खास तौर से वहां इस इलाके या बिहार के रहने वाले लोग तो मंगाते ही मंगाते हैं, यहां से लोग संदेश के रूप में भेजते हैं.
गरम करने के बाद ताजी बाकरखानी का मिलता है स्वाद
बाकरखानी की खासियत यह है कि इसे बहुत दिनों तक लोग अपने-अपने घरों में रखते हैं. हफ्तों तक यह खराब नहीं होती. गरम करने के बाद ताज़ी बाकरखानी का स्वाद मिलता है. इसे लोग ऐसे भी खाते हैं या नॉनवेज के साथ भी खाना पसंद करते हैं.
गया में बाकरखानी बनाने की शुरुआत 100 वर्ष से भी अधिक समय से हो रहा है. छत्ता मस्जिद के पास सुल्तान बाकरखानी काफी मशहूर है. इनके बेकरी में रोजाना 300-400 पीस तैयार किया जाता है. इनके यहां तीन तरह के बाकरखानी बनाया जाता है जिसकी कीमत 60, 80 और 120 रुपया है.
ऐसे बनती है बाकरखानी
अमूमन बाकरखानी को तैयार करने में मैदा का सबसे ज्यादा उपयोग होता है. बाकरखानी तैयार करने वाले सुल्तान बिक्री के कारीगर बताते हैं कि मैदा में चीनी, दूध, इलाइची, खोवा, तील, घी रिफाइन, नारियल का बुरादा, चेरी, ड्राइ फ्रुट आदि को मिलाया जाता है. उसके बाद जरूरत के अनुसार पानी डालकर काफी देर तक गूंथा जाता है. इसके बाद बेला जाता है.
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फिर मशीन से गोल-गोल आकार में काटने के बाद भट्ठी में डाला जाता है. 20 मिनट के बाद निकाल लिया जाता है. उस पर रिफाइन लगाकर पॉलिश की जाती है, उसके बाद बकरखानी तैयार हो जाती है.
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FIRST PUBLISHED : February 15, 2024, 09:06 IST