अंजली शर्मा/कन्नौज: कन्नौज के रहने वाले एक ऐसे बुजुर्ग की कहानी आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसको सुनकर आपकी भी आंखें नम हो जाएगी. आखिर क्या कसूर रहा इस बाप का जिसने अपना सब कुछ लगाकर अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया, उनको उनके पैरों पर खड़ा करायाजीवन के हर उतार-चढ़ाव में साथ रहे. लेकिन वक्त बदला और राधा कृष्ण आज पूरा भरा भराया परिवार होने के बावजूद वृद्ध आश्रम में अकेले गुमनामी भरा जीवन बिता रहे हैं.
कन्नौज के मुख्य शहर के पगड़िया टोला के रहने वाले राधाकृष्ण के पांच भाई थे. राधा कृष्ण चौथे नंबर पर आते थे. करीब 44 साल पहले राधा कृष्ण की पत्नी की मृत्यु हो गई. राधा कृष्ण ने अपने बच्चों को जैसे तैसे प्राईवेट नौकरी करके पाला. पोसा था लेकिन राधा कृष्ण के जीवन में परेशानियां और समस्याओं ने कभी भी उनका पीछा नहीं छोड़ा. मानसिक रूप से उनका बेटा कुछ परेशान रहता था. 35 साल की उम्र में वह भी यह दुनिया से चला गया. बड़े भाई के बेटे ने राधा कृष्ण की दोनों बेटियों की शादी की थी.
छोटे भाई ने दिया सबसे बड़ा धोखा
राधा कृष्ण बताते हैं कि छोटे भाई ने उनके साथ सबसे बड़ा विश्वास घात किया. सारी प्रॉपर्टी बेचने के बाद जब पांचो भाइयों का बंटवारा हुआ. जिसमें सबसे छोटे भाई रमाशंकर और राधा कृष्ण को एक 16 लाख रुपए कीमत का मकान मिला. जिसको बेचकर छोटे भाई ने राधा कृष्ण को महेश 2 लाख रुपए दिए और बाकी पैसे लेकर रफू चक्कर हो गया.
पड़ोसियों ने साथ दिया तो वृद्ध आश्रम आ गया
राधा कृष्ण बताते हैं कि छोटे भाई ने जो 2 लाख रुपए दिए थे वह लेकर वह अपनी एक बेटी के घर पर रहने लगे. करीब 5 सालों तक उस बेटी के घर काम भी किया और करीब 5 साल रहने के बाद जब उन्होंने अपनी सबसे छोटी बेटी के घर जाने की बात कही और कहा कि मेरे पैसे मुझे दे दो तो दामाद और बेटी ने पिता से कहा ₹100 प्रतिदिन का मेरे यहां खाना खाते थे. उसी के हिसाब में सारा पैसा खत्म हो गया है. 75 वर्षीय राधा कृष्ण बताते हैं कि फिर मैं वहां से भाग आया अगर मैं वहां से भागता नहीं तो अब तक मर गया होता. पड़ोसियों ने साथ दिया तो वृद्ध आश्रम आ गया. अब जितना भी जीवन है वह अच्छा जीवन यहां पर कट रहा है.
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FIRST PUBLISHED : January 19, 2024, 21:31 IST