परमजीत कुमार/देवघर. साल भर में कुल 12 शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. लेकिन फागुन माह के चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. महाशिवरात्रि इसलिए क्योंकि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. इस दिन भक्ति के द्वारा व्रत रखकर मांगी गई मनोकामनाएं भगवान शिव अवश्य पूर्ण करते हैं. महाशिवरात्रि के दिन देश के सभी शिवालय में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
इसके साथ ही इस साल के महाशिवरात्रि के दिन कई खास योग का भी निर्माण होने जा रहा है. ज्योतिषविदों की मन तो अगर आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस योग में भगवान शिव की पूजा अवश्य करें. तोह आईये देवघर के ज्योतिषआचार्य से जानते है की कब है महाशिवरात्रि और दुर्लभ संयोग क्या बन रहा है?
क्या कहते है देवघर के ज्योतिष आचार्य
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि हर साल महाशिवरात्रि फागुन मास के चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि का व्रत 8 मार्च को रखा जाएगा यानी इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी संपन्न हुआ था. इसको लेकर देश के कई शिवालय में शिव बारात का भी आयोजन किया जाता है. ज्योतिष आचार्य अभी बताते हैं कि लगभग ढ़ाई सौ सालो के बाद महाशिवरात्रि के दिन तीन शुभ योग और एक शुभ नक्षत्र एक साथ आने वाले हैं. जिससे इस दिन अगर भगवान शिव की विधि विधान के साथ पूजा आराधना करते हैं तो भगवान शिव बेहद प्रसन्न होने वाले हैं.
कब से शुरु हो रही है चतुर्दशी तिथि
फागुन मास की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च दिन शुक्रवार को रात्रि में 9 बजकर 57 मिनट से शुरू होने जा रहा है. समापन अगले दिन यानी 9 मार्च को संध्या 5 बजकर 26 मिनट में हो रहा है. चतुर्दशी के दिन रात्रि के चार प्रहर में भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है. इसलिए इस दिन उदयातिथी का महत्व नहीं रहता है. इसलिए शिवरात्रि का व्रत 8 मार्च को ही रखा जाएगा.
कौन कौन से योग का निर्माण हो रहा है इस दिन
इस साल महाशिवरात्रि के दिन लगभग ढाई सौ साल के बाद तीन शुभ योग और एक शुभ नक्षत्र एक साथ आने वाले हैं. जिससे महाशिवरात्रि का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस साल महाशिवरात्रि के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, शिवयोग योग, अमृत सिद्ध योग, और श्रवना नक्षत्र का अद्भुत संयोग बनने जा रहा है. सालों बाद ऐसा अद्भुत संयोग आता है, ऐसे में श्रद्धालुओं के लिए समृद्धि पाने का अवसर है.
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FIRST PUBLISHED : February 26, 2024, 12:46 IST