इस फल के शहद के सेवन से आसपास भी नहीं भटकेगा बुढ़ापा, ताउम्र रहेंगे जवान…

आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. जामुन की खूबियों के बारे में भला कौन नहीं जानता होगा? यह एक ऐसा फल है जिसका सेवन बरसात के दिनों में खूब किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, जामुन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि इसमें औषधीय गुणों का भी खजाना है. इसका सेवन करने से पिंपल्स, रक्त शुद्धिकरण, आंखों की समस्या, कान की समस्या, दांत दर्द, मुंह के छाले, पथरी, डायबिटीज और एनीमिया जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं. इसी तरह, जामुन शहद भी कई बीमारियों में औषधीय पौधों के साथ किया जाता है. आज हम आपको एक ऐसे शहद के बारे में बता रहे हैं, जो तैयार ही जामुन से होता है.

ताउम्र जवान और निरोग रखता है जामुन शहद
आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे और औषधीय पौधों के जानकार शुभम श्रीवास्तव बताते हैं कि मधुमेह के रोगी के लिए जामुन शहद एक बेहतरीन उपाय है. इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इसलिए यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रण में रखता है. मधुमेह के सामान्य लक्षणों जैसे अत्यधिक प्यास और पेशाब आना इत्यादि समस्या को भी ठीक करता है. ऐसा माना जाता है कि जामुन शहद अन्य मिठास की तुलना में रक्त शर्करा नियंत्रण और इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार कर सकता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जिससे यह समय से पहले बुढ़ापा रोकने में मदद करता है और आंखों की रोशनी में सुधार करता है. यह सूजनरोधी गुणों से भी भरा होता है, जिससे खांसी, सर्दी और गले की खराश से भी राहत दिलाता है.

जामुन से ज्यादा फायदेमंद है जामुन शहद
मधुमक्खी पालक और मास्टर ट्रेनर शुभम बताते हैं कि मधुमक्खियां विभिन्न फूलों से रस जमा कर शहद बनाती हैं. इसी तरह, जब वे प्रचुर मात्रा में जामुन के फूलों के रस का इस्तेमाल कर शहद बनाती हैं, तो हम इसे जामुन शहद कहते हैं. वर्तमान में पश्चिम चम्पारण जिले के सरैयामन पक्षी विहार में मधुमक्खी पालन किया जा रहा है, जहां उच्च स्तर के जामुन के हजारों पेड़ हैं. यहां जंगल में जामुन शहद तैयार किया जा रहा है. बकौल शुभम बताते हैं कि जामुन शहद प्राकृतिक और असली शहद है. दरअसल, जामुन का फल जब कच्चा खाया जाता है, तो यह अत्यधिक स्वास्थ्य लाभ देता है. लेकिन, जब मधुमक्खियां इस फल से रस और पराग एकत्र करती हैं, तो इसमें अत्यधिक पोषक तत्व जुड़ जाते हैं.

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