इस फल की 3 महीने करें खेती… फिर 3 महीने कमाई, मुनाफा होगा डबल, सरकार भी देगी सब्सिडी

शशिकांत ओझा/पलामू. स्ट्रॉबेरी की खेती अक्टूबर महीने में होती है. इसका फसल कुछ दिनों में तैयार हो जाता है और ठंड के सीजन में मार्केट में आ जाता है. इससे किसान को लागत से भी ज्यादा मुनाफा होता है. भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखंड, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश के अलावा झारखंड में भी हो रही है. झारखंड में सबसे ज्यादा मात्रा में स्ट्रॉबेरी पलामू जिले में हो रही है, जहां किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

पलामू स्थित क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक प्रमोद कुमार ने बताया कि झारखंड में सबसे ज्यादा स्ट्रॉबेरी की खेती पलामू में हो रही है. यहां के किसान इसके फल को कोलकाता के बाजार तक भेज रहे हैं. इसकी खेती करने से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलता है. खेती के लिए अनुकूल मौसम अक्टूबर से शुरू होता है, जिसमें तीन महीने में फल तैयार होते हैं. किसान मार्च तक इसके फल से लाभ कमा सकते हैं.

अक्टूबर में खेती, मार्च तक लाभ
कृषि वैज्ञानिक आगे बताते हैं कि इसकी खेती करने के लिए सबसे अच्छी बलुई मिट्टी वाली जमीन होती है, जिसमें स्ट्रॉबेरी की उत्तम फसल तैयार हो सकती है. स्ट्रॉबेरी से किसान 3 से 4 लाख प्रति एकड़ मुनाफा कमा सकते हैं. दुनिया में स्ट्रॉबेरी की अलग-अलग 600 प्रभेद हैं. हालांकि, पलामू में किसान विंटर डॉन की खेती करते हैं, जिससे काफी अच्छी फसल तैयार होती है. इसके अलावा विंटर स्टार, कमरोसा, स्वीट चार्ली, चांडलर, ओफ्रा, ब्लैक मोर, फॉक्स जैसी किस्म की फसल भारत के किसान करते हैं. इसकी रोपाई किसान सितंबर से नवंबर महीने तक करते हैं, जिसके बाद जनवरी से मार्च तक फसल तैयार होती है.

ऐसे करें खेत तैयार
कृषि वैज्ञानिक ने आगे बताया कि पलामू के किसान विंटर डॉन किस्म की खेती के लिए पुणे से पौधे मंगाते हैं, जो 10 रुपए प्रति पौधे के रेट से मिलता है. वहीं, एक एकड़ में करीब 20 से 22 हजार पौधे लगते हैं. इसके अलावा इसकी खेती में मल्च की जरूरत पड़ती है. एक एकड़ में इसकी खेती के लिए 3 लाख तक का खर्च आता है. खेती के लिए किसान सबसे पहले बलुई मिट्टी वाली जमीन का चयन करें. इसके बाद उस खेती की 3 से 4 बार जुताई कर लें. इसके बाद उर्वरक खाद हेतु किसान 30 टन प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर खाद को मिलाएं. कीट से बचाव हेतु फॉस्फेट और पोटाश मिला सकते हैं. इसके बाद 30 सेंटीमीटर ऊंची और 90 सेंटीमीटर चौड़ी मेड़ तैयार करें. हर मेड़ की दूरी लगभग 40 से 50 सेंटीमीटर का रास्ता बनाए. इसके बाद मेड़ में ड्रिप एरिगेशन की पाइपलाइन को बिछा दें. अब मेड़ पर मल्चिंग करके मल्च में 20-20 सेंटीमीटर की दूरी पर विंटर डॉन एक-एक पौधा लगाएं. एक एकड़ में लगभग 20 से 24 हजार पौधे लगाएं. इसके बाद शुरुआत में नत्रजन का प्रयोग कर सकते हैं. बाद में हल्की मात्रा में इसका प्रयोग करें.

इस वक्त तोड़ें फल
आगे बताया की एक पौधे में 300 से 400 ग्राम तक स्ट्रॉबेरी निकलती है. इसके फल को तैयार होने पर किसान अच्छी तरह पैकिंग कर मार्केट में 300 से 400 रुपये प्रति किलो की दर से बेच सकते हैं. इससे वो प्रति एकड़ लगभग 3 से 4 लाख रुपये कमा सकते हैं. स्ट्रॉबेरी विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती है, जिसे डिलीशियस फूड में लोग इस्तेमाल करते हैं. संभ्रांत परिवार के लोग इसकी ज्यादा डिमांड करते हैं. किसान इसके फल को हल्के हरा रहने में ही तोड़ लें, ताकि ट्रांसपोटेशन से ये फल खराब न हो.

सरकार से भी ले सकते हैं सहयोग
आगे बताया कि इसकी खेती के लिए टपक सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके लिए सरकार द्वारा 90% अनुदान दिया जाता है. वहीं स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए भी सरकारी योजना का लाभ किसान उठा सकते हैं. अगर कोई किसान इसकी खेती करना चाहता है तो वह अपने जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क कर सकता है, जहां से सरकारी योजना का लाभ लेते हुए किसान इसकी खेती कर सकता है.

Tags: Agriculture, Farming, Local18, Palamu news

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