अमित कुमार/समस्तीपुर. कड़वा अनुभव इंसान को सही दिशा देता है. इससे वह सफल होता है. ऐसा ही कुछ हुआ समस्तीपुर के अविनाश ठाकुर के साथ. बाजार से पपीता खरीद लाए. यह पेड़ पर पका नहीं था. यह कार्बेट से पका हुआ था. इसके बाद खुद ही प्राकृत तरीके से खेती करने की ठानी. इसके बाद उनकी यह सोच लोगों के साथ इनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुई. पहली ही बाल में 7 लाख मुनाफा कमाया. घाटा होने पर उन्होंने कृषि वैज्ञानिक से सलाह ली. आज नतीजा यह है कि सालाना मुनाफे में 5 गुना की वृद्धि हुई.
समस्तीपुर जिला के मोहिउद्दीननगर प्रखंड के नंदनी गांव के किसान परंपरागत खेती से हट कर बड़े पैमाने पर पपीता की खेती कर रहे हैं. नंदनी गांव के रहने वाले अविनाश ठाकुर किसान बताते हैं कि 4 साल पहले वह पटोरी बाजार से एक किलोग्राम पपीता खरीदने गए थे. तो दुकानदार ने उन्हें 60 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बताया. फिर वह वहां से 1 किलोग्राम पपीता खरीद कर घर वापस आए. जब उन्होंने पपीता खाया तो पता चला कि वह पपीता कार्बेट से पका हुआ था. फिर उन्होंने एक बीघा खेत में पपीता की खेती करना प्रारंभ किया. जिसमें उन्हें 7 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. इसके बाद उक्त किसान ने खेतों 4 बीघा पपीता की खेती शुरू कर दी.
मुनाफे के बीच हुई गलती तो हुआ ये घाटा
अनिवाश ठाकुर दो साल तक लगातार हानि का सामना करते रहे. फिर भी संघर्ष करते-करते पिछले साल से लगातार उन्होंने पपीता की खेती में अच्छा मुनाफा हो रहा है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा जब पपीते की खेती में बड़े पैमाने पर हानि हुई तो सीख मिली. इसके बाद उसने अपनी गलती को सुधार की ओर काम करना शुरूकिया. पूसा कृषि विश्वविद्यालय दिल्ली के वैज्ञानिक से उन्होंने संपर्क किया. वैज्ञानिक द्वारा दी गई सलाह पर काम करना शुरू किया तो आज 5 बीघा पपीता की खेती में 35 लाख से अधिक रुपए सालाना मुनाफा कमा लेते हैं. इसमें लागत कम होती है. मुनाफा सबसे अच्छा होता है. एक बिगहा की खेती में 40-50 हजार रुपए खर्च आता है. फायदे की बात करें तो फसल अच्छा होने पर काफी मुनाफा हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : December 3, 2023, 16:23 IST