शिवकुमार जोगी/ गुना.एमपी के गुना शहर से कुछ ही दूर बजरंगढ़ रोड पर एक ऐसा प्राचीन मंदिर है, जिसके दर्शन मात्र से बड़े से बड़ा संकट दूर हो जाता है. गुना सहित आसपास जैसे शिवपुरी, ग्वालियर, अशोक नगर जिले से भी श्रद्धालु दर्शन करने आते है.यह पहला ऐसा मंदिर है जहां नवग्रह देवताओं के बीच सूर्य पुत्र शनि देव विराजमान है.
वैसे तो शहर में बहुत से शनि मंदिर है लेकिन यह गुना शहर का सबसे प्राचीन मंदिर होने से इसका महत्व अधिक बढ़ जाता है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में सूर्य पुत्र शनि महाराज के साथ नवग्रह देवता इनके चारों तरफ विराजमान हैं. श्रद्धालुओं को शिव और हनुमान जी के दर्शन भी करने को मिलते है. मंगलवार और शनिवार को सुबह – शाम यहां काफी भक्तो की भीड़ देखने को मिलती है.
इस मंदिर का निर्माण हुआ था 1965
मंदिर के पुजारी संजय जोशी ने कहा कि इस मंदिर का निर्माण सन 1965 में स्वर्गीय बाबूलाल जी जोशी द्वारा करवाई गई थी. जो आज भी मेरे और श्रद्धालु दान दाताओं के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. शास्त्र में कहा गया है कि शनि महाराज नवग्रह देवताओ के राजा है. इसी वजह से यहाँ दूर- दूर से श्रद्धालु अपनी व्यवसाय, ग्रह नक्षत्र, जैसी अन्य समस्या को लेकर सूर्य पुत्र शनि देव के दर्शन करने आते है.
शनि देव पर तिल चढ़ाने से मनोकामना होती है पूर्ण
ऐसा कहा जाता है कि शास्त्र में शनि न्याय प्रिय भगवान है. इनके दर्शन से ऐसे जातकों जिनके ऊपर शनि के ढय्या या साढ़े साती का प्रभाव होता है उनको इनके दर्शन से काफी लाभ की प्राप्ति होती सूर्य पुत्र शनि देव को तिल, तेल, काला वस्त्र, अर्पण कर श्रद्धालु अपने इच्छा हेतु मनोकामना पूर्ति के लिए इस मंदिर प्रार्थना करते देखे जा सकते है.यहां शनिचरी अमावस्या एवम शनि जयंती के दिन भक्तो का मेला लगा रहता है सुबह से ही अभिषेक के साथ विशाल आरती का आयोजन किया जाता है इसके पश्चात प्रसाद वितरण किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : January 13, 2024, 12:21 IST