अभिलाष मिश्रा/ इंदौर. इंदौर का प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है. विशेष कर धनतेरस और दीपावली में इस मंदिर में मां की आराधना और दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं. मान्यता है कि मंदिर में सच्चे मन से मां के दर्शन करने मात्र से ही जीवन में वैभव और सुख संपन्नता आती है.पं. दिनेश उज्जैनकर बताते हैं कि यह मंदिर होलकर रियासत की श्रद्धा का प्रतीक तो है ही साथ ही मंदिर इंदौरवासियों की आस्था का केंद्र है. जो भी भक्त सच्चे मन से मां के दर्शन कर प्रार्थना करते हैं और मां को पीले चावल देकर अपने घर आमंत्रित करते हैं मां उनका जीवन सुख संपन्नता और वैभव से पूर्ण कर देती हैं.
हर साल दीपावली के मौके पर प्रसिद्ध प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर में 5 दिवसीय महोत्सव होता है. धनतेरस से शुरू होकर ये महोत्सव भाईदूज पर पूरा होता है. इस मौके पर दूर-दूर से माता के दर्शन करने के लिए यहां लाखों दर्शनार्थी मंदिर पहुंचते हैं. दीपावली के दिन मंदिर के पट सुबह तीन बजे खोल दिए जाते हैं. जहां मां लक्ष्मी का विशेष अभिषेक और श्रृंगार के बाद माता की महाआरती की जाती है.
1832 में हुआ था मंदिर का निर्माण
इंदौर के राजवाड़ा में मौजूद महालक्ष्मी का प्राचीन मंदिर समूचे इंदौरवासियों के लिए बेहद महत्व रखता है. इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 1832 में मल्हारराव (द्वितीय) ने कराया था. 1933 में यह तीन तल वाला मंदिर था जो आग लगने की घटना के कारण तहस-नहस हो गया था. 1942 में मंदिर का एक बार फिर से जीर्णोद्धार कराया गया .
होलकर रियासत में मंदिर का था विशेष महत्व
इस प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर का होलकर रियासत में भी विशेष महत्व था. मंदिर से जुड़े लोग बताते हैं कि राजवाड़ा में होलकर रियासत के दफ्तर में दाखिल होने से पहले अधिकारी, कर्मचारी महालक्ष्मी मंदिर के अंदर जाकर जरूर दर्शन करते थे. तभी से यहां दर्शन करने की परंपरा है. प्रतिदिन यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन करते हैं.
माता को पीले चावल देकर करते हैं आमंत्रित
इंदौर के राजवाड़ा में मौजूद प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर देवी महालक्षमी के देश-विदेश में बसे भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है. यहां हर साल दीपावली पर पीले चावल देकर माता को आमंत्रित करने की परंपरा है. बड़ी संख्या में लोग माता को पीले चावल देकर अपने घर आमंत्रित करने के लिए आते हैं. दिवाली के समय माता को घर ले जाने के लिए 50 मंदिर में हजार से ज्यादा भक्त जुटते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 4, 2023, 13:57 IST