कुंदन कुमार/गया:- 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम की स्थापना होनी है. प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अयोध्या नगरी को पूरी तरह दुल्हन की तरह सजा दिया गया है. अयोध्या के अलावा भारत के कई जगहों पर प्रभु श्रीराम से जुड़े स्थल है, जिसमें बिहार के गया का भी नाम शामिल है. गया में प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने पहुंचे थे. उन्होंने रामशिला पर्वत पर अपने पिता का पिंडदान किया था. आज भी इस पर्वत पर प्रभु श्रीराम के पदचिन्ह मौजूद हैं और यह जगह 54 पिंड वेदियों में से एक माना जाता है. गया में कुछ लोग रामशिला पर्वत पर भी पिंडदान कर अपने पितरों को मोक्ष दिलाते हैं.
श्रीराम ने पिता दशरथ का किया था पिंडदान
रामशीला पहाड़ी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है. यह पहाड़ी विष्णुपद मंदिर से 5 किमी उत्तर में फल्गु नदी के किनारे मौजूद है. ऐसा माना जाता है कि इस पर्वत का नाम भगवान श्रीराम के नाम से जुड़ा हुआ है. वन प्रवास के दौरान भगवान राम ने रामकुंड सरोवर में स्नान करने के बाद इसी जगह पर पिता दशरथ जी का पिंडदान किया था. रामशिला पर्वत के नीचे रामकुंड है, जहां प्रभु राम ने पिंडदान करने से पहले स्नान किया था. प्राचीन काल से कई पत्थर की मूर्तियां आज भी इस पहाड़ी पर मौजूद हैं. उसके आस-पास भी इन मूर्तियों को देखा जा सकता है. पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर को रामेश्वर या पातालेश्वर मंदिर कहा जाता है.
प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रही तैयारी
पहाड़ी पर एक मंदिर दिखाई देगा, जहां राम, सीता, लक्ष्मण और भक्त हनुमान की प्रतिमा स्थापित है. यहां पिंडदान करने से पूर्वज सीधे स्वर्गलोक जाते हैं. रामकुंड में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है. चूंकि 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसको लेकर रामशिला मंदिर में भी तैयारी जोरों-शोरों से चल रही है. 22 जनवरी को रामशिला मंदिर में भव्य पूजा के बाद 501 किलो लड्डू का वितरण किया जाएगा. इसके साथ ही 11 हजार से अधिक दीपक जलाए जाएंगे.
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54 वेदियों में से रामशिला भी महत्वपूर्ण
रामशिला मंदिर के पुजारी बनवारी पांडे धामी बताते हैं कि गया जी धाम में पिंड दान की कुल 54 वेदियां है और रामशिला भी उनमें एक महत्वपूर्ण वेदी है. इस वेदी पर पिंड दान करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. गया जी के राम कुण्ड स्थित पिंड वेदी पर पिंड दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. रामशिला पहाड़ी के नीचे राम कुण्ड नामक सरोवर है, जिसके पास ही एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है. इस मंदिर की विशेषता है कि यह एक विशाल स्फटिक का शिवलिंग है. शिव भक्त देश-विदेश से इस दुर्लभ शिवलिंग के दर्शन करने आते रहते हैं. पहाड़ी पर एक प्राचीन राम मंदिर भी स्थित है, जहां भगवान राम के चरण चिन्ह बने हैं. पहाड़ी की चोटी पर एक प्राचीन मंदिर स्थित है, जो रामेश्वर या पातालेश्वर मंदिरके नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने अनुज लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ यहीं विश्राम किया था.
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FIRST PUBLISHED : January 18, 2024, 12:34 IST