इस नीम के पेड़ से बहती है दूध की धारा, पास में ही है स्वयंभू शिवलिंग, रोचक है मंदिर बनने की कहानी

अनंत कुमार/गुमला. गुमला जिला मुख्यालय के लोहरदगा रोड के सोसो मोड़ के भलदम चट्टी स्थित मां दूधेश्वरी स्वयंभूधाम है. मान्यता है कि यहां नीम के पेड़ से दूध की धारा बहती है. जिसे पीने मात्र से कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है. यहां स्वयंभू शिवलिंग भी है. जहां दूर-दूर से लोग पूजा के लिए आते हैं. खास कर शिवरात्रि में यहां काफी भीड़ लगती है. इस दौरान कलश यात्रा, अखंड कीर्तन और भंडारे का भी आयोजन होता है.

मंदिर के पुजारी भोला दास गोस्वामी ने बताया कि साल 2016 के अगस्त माह में भलदम चट्टी स्थित नीम के पेड़ से दूध गिरना शुरू हुआ. सबसे पहले गांव के राकेश सिंह ने यह देखा. जिसकी सूचना गांव के लोगों को दी. फिर लोगों ने अपने स्तर से काफी खोजबीन किए कि आखिर दूध कहां से गिर रहा है. लेकिन पता नहीं चला और ना ही दूध गिरना बंद हुआ. फिर लोग इसे दैवीय चमत्कार मानने लगे. इस पेड़ की पूजा होने लगी.

मजाक न बने इसलिए रात में की थी खुदाई
उन्होंने आगे बताया कि मेरी पत्नी सरस्वती देवी को सपना आया कि पेड़ के पास शिवलिंग प्रकट होगा. मैं उसे मना कर रहा था कि कहीं सपना झूठा हुआ तो गांव के सभी लोग हम पर हंसेंगे व मजाक उड़ाएंगे. पत्नी के बार बार जिद करने पर हम लोग दोनों पति पत्नी रात के 2-3 बजे ही उस नीम के पेड़ के पास जाकर शिवलिंग खोजने लगे और काफी खोजबीन के बाद शिवलिंग मिला.

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दूध के सेवन से ठीक हो गई कई बीमारियां
इसकी सूचना गांव के लोगों को दी.तब से पूजा पाठ रोजाना करना शुरू किया. वहां पास मंदिर का प्रारूप किया. लगभग 3 माह तक लगातार चौबीसों घण्टे तेज धार से पेड़ से दूध बहता रहा. अभी भी कभी कभार दूध गिरता है. दूध का सेवन प्रसाद के रूप में किया जाता है. कई लोगों की बड़ी बड़ी बीमारियां भी दूध के सेवन से ठीक हो गई हैं.

मान्यता है कि यहां सच्चे मन से जो मनोकामना – मुरादें मांगते हैं. उसे भगवान पूर्ण करते हैं. यहां सभी पर्व त्योहारों में विशेष पूजा पाठ की जाती है. वहीं दशहरे के अवसर पर चलंत मूर्ति का भी प्रदर्शन किया जाता है.

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