इस दिन है गोविंद द्वादशी व्रत, अनूठे उपायों से मिलेगा मनोवांछित फल

शुभम मरमट / उज्जैन. हिंदू धर्म में द्वादशी का विशेष महत्व होता है. हर द्वादशी के अलग-अलग लाभ बताए जाते हैं और इसी कारण भक्त द्वादशी पर अपने आराध्य की पूजा और आराधना करते हैं. इस बार गोविन्द द्वादशी 21 मार्च को आ रही है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-पाठ करने से व्यक्ति के सौभाग्य में वृद्धि हो सकती है और सभी परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है. वहीं शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के नरसिम्हा अवतार की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. इसलिए गोविंदा द्वादशी को नरसिम्हा द्वादशी के नाम से जाना जाता है.

हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष द्वादशी को गोविंदा द्वादशी व्रत विधान है. गोविदा द्वादशी का व्रत पूर्णरूप से भगवान विष्णु का समर्पित है. यह व्रत करने वालों को संतान की प्राप्ति, समस्त धन-धान्य, सौभाग्य का सुख मिलता है. यह व्रत करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पुराणों में यह व्रत समस्त कार्य को सिद्ध करने वाला होता है.

गोविन्द द्वादशी शुभ समय
द्वादशी तिथि प्रारम्भ 21 मार्च को प्रातः 02:23 बजे से लेकर इसका समापन दिनांक 22 मार्च को शाम 04:44 बजे पर होगा.

ऐसे मिलता है व्रत का फल
हिन्दू धर्म मे हर गोविंद द्वादशी का बड़ा महत्व है. गोविंद द्वादशी का व्रत करने वालों को दान, पुण्य, हवन, तर्पण आदि का बड़ा महत्व बतलाया गया है. मान्यता है कि जो कोई भी मानव इस दिन दान करता है उसको भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है. वह मृत्यु के बाद ऐसे व्यक्ति को वैकुण्ठ धाम मिलता है. वैदिक शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर समस्त पापों का नाश होकर पुण्य फल की प्राप्ति होती है.

इन मंत्रों से करें जाप
फाल्गुनमास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी परम पूजनीय कल्याणिनी है. इस व्रत में \”ॐ नमो नारायणाय नम:, श्रीकृष्णाय नम:, सर्वात्मने नम:\” आदि नामों से भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जाती है.

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