इस दिन मनाए बसंत पंचमी का त्यौहार, जानें शुभ मूहूर्त और पूजा विधि

लखेश्वर यादव/ जांजगीर चांपा:- हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है, जो इस साल 14 फरवरी 2024 दिन बुधवार को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी के विशेष दिन पर ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है.बसंत पंचमी को श्रीपंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है. जांजगीर जिला मुख्यालय के पुरानी सिंचाई कॉलोनी में स्थित दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित बसंत शर्मा महाराज ने बताया की बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. इसके साथ शिव जी की भी पूजा की जाती है.

इस दिन मां सरस्वती जी को मुख्य रूप से आम का फूल चढ़ाते है, जिसे छत्तीसगढ़ में आम का मऊर भी बोलते है. इसके अलावा आंख का फूल, बेल पत्ती चढ़ाकर पूजा की जाती है. कहा जाता है कि आम के मऊर को चढ़ाने के बाद उसमें से प्रसाद के रूप में थोड़ा-थोड़ा सभी को देना चाहिए और खुद भी खाना चाहिए. इस प्रसाद को ग्रहण करने से मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है और पूरे सालभर वाणी भी मीठी रहती है. मां सरस्वती जी की इस दिन पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है. इसलिए इस दिन मां सरस्वती और शिव जी की पूजा जरूर करनी चाहिए.

मां सरस्वती की पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और जिस पानी से स्नान करना है, उसमे थोड़ा सा तिल डाल देना चाहिए या तिल को पीसकर शरीर में लगा लेना चाहिए. स्नान के बाद इस दिन साफ-सुथरे पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहनना चाहिए. अगर ये रंग के कपड़े नही हैं, तो लाईट रंग के कपड़े पहनना चाहिए. इसके बाद पूजा स्थान को साफ करके चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर रखकर मां को माला पहनाएं, अक्षत, आम का फूल (आम मऊर),पीले रंग की रोली, चंदन आदि चढ़ाएं और पूजा करें.

होली डांग गाड़ने की शुरुआत
पंडित बसंत महाराज ने बताया की बसंत पंचमी के दिन से होलिका दहन करने वाले लकड़ी की शुरुआत की जाती है. इस दिन जहां होलिका दहन करना है, वहां अंडा का पेड़, हल्दी गांठ, पूजा सुपाड़ी, नारियल इन सभी चीजों को जमीन में खोदकर उसमें दबाया जाता है और उसके बाद पूजा की जाती है. फिर धीरे धीरे लकड़ी डाला जाता है और होलिका दहन के लिए तैयार किया जाता है.

बसंत ऋतु को कहते हैं ऋतुओं का राजा
हिंदू परंपराओं के अनुसार पूरे साल को छह ऋतुओं में बांटा गया है, जिसमें बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु शामिल है. इन सभी ऋतुओं में से बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा कहा जाता है और बसंत ऋतु की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से ही होती है. इसलिए इस दिन को बसंत पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो इस साल बसंत पंचमी 14 फरवरी 2024 को मनाया जाएगा.

Tags: Chhattisgarh news, Local18, Saraswati Puja

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