इस दिन जागेंगे देव व शुरू होंगे मांगलिक कार्य, देवउठान एकादशी का जानें महत्व

अभिनव कुमार/दरभंगा. मिथिलांचल में देवउथान पर्व का विशेष महत्व है. इस पर्व के बाद से मिथिलांचल क्षेत्र के साथ सभी जगह और सनातन धर्म में सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. हर वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी को यह पर्व मनाया जाता है और इस पर्व के बाद सारे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं. इसपर विशेष जानकारी ज्योतिषाचार्य सह सहायक प्रोफेसर डॉ.वरुण कुमार झा दी. उन्होंने कहा कि इस पर के बाद से ही मिथलांचल के साथ बिहार में शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठान व्रत मनाया जाता है. इस वर्ष यह व्रत 23 नवंबर 2023 को गुरुवार को मनाया जाएगा.

होता है यह शुभ कार्य
विस्तृत जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के सहायक प्राचार्य डॉक्टर वरुण कुमार झा बताते हैं कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवउठान व्रत मनाया जाता है. इस वर्ष यह व्रत 23 नवंबर यानी गुरुवार को मनाया जाएगा. इसमें शादी, विवाह, मुंडन, गृह आरंभ, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं.

भगवान सोने के बाद इसी दिन नींद से हैं जागते
सहायक प्राचार्य डॉक्टर वरुण कुमार कहते हैं किऐसी मान्यता है कि भगवान अपने शयन करने के बाद जब निंद्रा से जागृत होते हैं. अर्थात नींद से जागते हैं तो उसके उपलक्ष में यह देव उठान एकादशी का व्रत किया जाता है. इस दिन भगवान की खोर्चो उपचार से पूजा होती है और पूजन के बाद प्रसाद को सभी ग्रहण करना चाहिए.

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मिथिलांचल में देव उठान एकादशी के बाद से शुभ कार्यों के लिए शुभ समय का निर्धारण होता है . जैसे विवाह , मुंडन , गृह आरंभ यानी सभी प्रकार के शुभ कार्य देव उठानी एकादशी के बाद शुरु हो जाता है.

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