प्रवीण मिश्रा/ खंडवा. मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में एक टेलर को लोग भगवान के टेलर के नाम से ही पुकारते हैं. शहर के घंटाघर चौक पर कहारवाड़ी निवासी भरत कुवादे भगवान के कपड़े सिलने का काम करते हैं. इनके पास शहर के साथ आसपास के जिलों से भी लोग भगवान की छोटी-बड़ी मूर्तियों की पोशाक सिलवाने के लिए आते हैं. भरत कुवादे खंडवा जिले के मंदिरों में स्थापित भगवान की प्रतिमा के नाप लेकर और इनके ग्राफ बनाकर भगवान की पोशाक तैयार करते हैं.
यही वजह है कि लोग इन्हें भगवान के टेलर के नाम से पुकारते हैं. बस भरत कुवादे को पोशाक बनाने के लिए मंदिर का नाम बताना होता है और वह इसे तैयार कर देते हैं. कुवादे के पास खंडवा शहर में मौजूद सभी मूर्तियों का नाप है. खास बात यह है कि वह खुद ही भगवान के कपड़ों की डिजाइनिंग करते हैं. टेलर कुवादे बताते है कि मेरे पिताजी भी टेलर थे और यह हमारा पुश्तैनी काम है जो तीन पीढियां से चलता आ रहा है लेकिन मैंने समय के साथ खुद को अपडेट किया और भगवान की पोशाक बनाने का काम शुरु किया आज मुझे भगवान की पोशाक बनाते हुए 15 साल हो गए है.
पोशाक बनाते समय इन बातों का रखा जाता है ध्यान
भरत कुवादे आगे बताते है कि पोशाक बनाने से पहले मौसम का भी विशेष ध्यान रखा जाता है उसी के अनुसार कपड़े तैयार किए जाते है. जैसे कि गर्मियों में सिल्क और रेशमी कपड़े से तो सर्दियों में मखमली कपड़ों से भगवान की पोशाक तैयार की जाती है. वही, यह सभी वस्त्र तैयार करने से पहले साफ-सफाई का भी बड़ा महत्व है. कपड़ो की पवित्रता बनी रहे है उसके लिए निम्न बातों का भी ख्याल विशेष तौर पर रखा जाता है. दुर्गा पूजा हो या जन्माष्टमी या कोई भी पर्व हो लोग यहां पर भगवान के कपड़े बनवाने के लिए आते रहते हैं. लोग यहां पर न सिर्फ अपने घरों के भगवान के लिए कपड़े सिलवाते हैं बल्कि मंदिरों में चढ़ाने के लिए भी यहीं पर उनकी सिलाई कराते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 05, 2023, 17:59 IST