शशिकांत ओझा/पलामू.पलामू टाइगर रिजर्व झारखंड का इकलौता टाइगर रिजर्व है.यहां पिछले एक साल से तीन से चार बाघ के मौजूद होने की पुष्टि हुई है. इस इलाके में बाघ ठिकाना बना रहे है. जिनके लिए भोजन उपलब्ध कराने के लिए पी टी आर में सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाए गए है. वहीं, इन सेंटरों में हिरण और चीतल को बोमा तकनीक से रेस्क्यू किया जा रहा है.
दरअसल, बोमा तकनीक अफ्रीकी तकनीक है.जिसके इस्तेमाल से वन्य जीवों को रेस्क्यू किया जाता है. यह तकनीक के लिए एक हेक्टेयर जमीन को संकू आकार से घेरा जाता है. जिसमें एंट्री के लिए एक द्वार रहता है. जिससे जंगली जानवर प्रवेश करते है. वहीं ,यह घिरा हुआ मैदानी इलाका आगे छोटा होता जाता है. दूसरी तरफ ट्रक लगा होता है. जिसमे वन्य जीव आसानी से प्रवेश कर जाते है.प्रोजेक्ट डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने कहा कि मैदानी इलाके में इन्हें पकड़ पाना आसान नहीं होता है. वहीं, बोमा तकनीक से जंगली जानवर को पकड़ने के लिए बेहद आसानी होती है. इसके लिए पी टी आर के अधिकारी कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से प्रशिक्षण लेकर इसका यहां इस्तेमाल कर रहे है.
पलामू टाइगर रिजर्व में पहली बार हुआ इस तकनीक का इस्तेमाल
आगे बताया कि उन्होंने पहली बार इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए 1 हेक्टेयर जमीन की घेराबंदी की है. जिसमें पहली बार दो हिरण को रेस्क्यू कर दूसरे क्षेत्र में छोड़ा गया है. इस तकनीक से 15 से 20 मिनट में वन्य जीव को रेस्क्यू किया गया है. जिसके लिए 8 वनकर्मियों ने रेस्क्यू किया है.बेतला के जंगल में हिरण और चीतल की संख्या ज्यादा है.यहां से 40-40 हिरण और चीतल को रेस्क्यू कर छिपादोहर में बने दो सॉफ्ट रिलीज सेंटर में रखा जाना है.जिससे पलामू टाइगर रिजर्व में उनकी संख्या बढ़ सके.
बूढ़ापहाड़ की तराई में बनेंगे सॉफ्ट रिलीज सेंटर
पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र अंतर्गत बूढ़ापहाड़ तीन दशक तक नक्सलियों के कब्जे में था. जिसे सुरक्षा बलों द्वारा कैंप स्थापित कर नक्सल मुक्त करा दिया गया है.अब इस इलाके में बाघों की गतिविधि भी बढ़ गई है.डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने बताया की इस पहाड़ की तराई पर सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाया जायेगा. अब तक पी टी आर अंतर्गत चार सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाए गए है. जो की छिपादोहर में 13 – 13 हेक्टेयर के दो और बारेसांड में 50 – 50 हेक्टेयर के दो सेंटर बनाए गए है. उन्होंने कहा कि बारेसांड के लिए रांची की ओर मांझी जू से 300 हिरण और सांभर को रेस्क्यू किया जायेगा. ताकि बाघों को भोजन मिल सके.
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FIRST PUBLISHED : March 10, 2024, 10:31 IST