दिलीप चौबे/कैमूर : पारंपरिक फसलों से इतर अब किसान नगदी फसलों की खेती पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. परंपरागत फसलों पर कभी मौसम की मार पड़ती है तो कभी बीमारियों के चलते पूरा फसल बर्बाद हो जाता है.किसान धान, गेहूं, मक्का सहित अन्य की तुलना में नगदी फसलों की खेती से अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. इसमें केला किसानों के लिए बेहतर कमाई का जरिया बन रहा है.
कैमूर जिला में भी अब केले की बड़े पैमाने पर खेती होने लगी है. केले की खेती के लिए राज्य सरकार भी किसानों की मदद कर रही है. सरकार उद्यान विभाग के जरिए न सिर्फ अनुदान उपलब्ध करवा रहे हैं बल्कि किसानों को उन्नत वैरायटी के केले का बीज भी मुहैया करवाने में मदद दे रहे हैं.
केला की खेती के लिए सरकार दे रही है 50 फीसदी अनुदान
जिला उद्यान पदाधिकारी सूरज पांडेय ने बताया कि केला की खेती के लिए कैमूर की मिट्टी उपयुक्त है. यहां कला की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना अंतर्गत कैमूर जिला को 10 हेक्टेयर में केला की खेती करने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है.
इसमें कुल लागत 1.25 लाख प्रति हेक्टेयर आता है. इसपर सरकार 50 फीसदी यानी में 62,500 रुपए प्रति हेक्टेयर अनुदान दे रही है. केला की खेती करने के लिए इच्छुक किसान अनुदान पर टिशु कल्चर G9 प्रभेद का पौधा हासिल कर सकते हैं. इसके लिए किसान को विभाग के पोर्टल horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा.
अनुदान के लिए आवेदन करते वक्त इन कागजातों की पड़ेगी जरुरत
जिला उद्यान पदाधिकारी सूरज पांडेय ने बताया कि टिशुकल्चर तकनीक से केला की खेती करने पर फसल परंपरागत तरीके के मुकाबले 60 दिन पहले तैयार हो जाता है. वहींमुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत केला की खेती के लिए किसानों अनुदान दिया जा रहा है.
किसानों के पास जमीन की रसीद, किसान पंजीयन संख्या और फोटो होना अनिवार्य है. आवेदन करने के बाद पहले आओ पहले पाओ प्रक्रिया को अपनाते हुए प्रति हेक्टेयर 3086 पौधा दिया जाएगा. आवेदन करने में किसी तरह की कोई परेशानी हो या उद्यान से संबंधित विशेष जानकारी लेना हो को किसान संबंधित प्रखंड के प्रखंड उद्यान पदाधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2023, 17:46 IST