इस जगह बीहड़ जंगल में हैं मां शीतला का मंदिर, डकैत भी आकर करते थे यहां आराधना! जानिए मान्यता

अरविंद शर्मा / भिंड. माता शीतला की महिमा अपरम्पार है. वो अपने भक्तों के स्वप्न में दर्शन देकर उन्हें धन्य करती हैं, तो कभी माता भक्तों से प्रसन्न होकर उनके पास बस जाती हैं. मध्य प्रदेश के ग्वालियर से लगभग 20 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच माता शीतला विराजमान हैं. मां के दर्शनों के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर से लोग यहां पैदल आते हैं. नवरात्र के नौ दिनों में खास कर यहां भक्तों का तांता लग जाता है. हर सोमवार को यहां मेले का भी आयोजन किया जाता है.

भिण्ड जिले के गोहद के पास बीहड़ में बना यह शीतला माता मंदिर काफी पुराना इस मंदिर पर हर सोमवार को काफी भीड़ होती है. मान्यता है मन्दिर पर पांच समोवार परिक्रमा लगाने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है. इस मंदिर पर बीहड़ में होने के कारण कई डकैत भी यहाँ आकर सिर नवाते थे, आज भी इस मंदिर पर भारी भीड़ होती है. यह मंदिर भिण्ड जिले के गोहद के संताउ गांव से पहले पहाड़ी पर मौजूद हैं.

कैसे पहुंची पहाड़ी पर माता शीतला
महंत कमल सिंह बताया कि यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना है. मान्यताओं के अनुसार माता के भक्त गजाधर रोजाना भिंड जिला के गोहद में बने मंदिर में माता की पूजा के लिए जाते थे. वो गाय के दूध से माता का अभिषेक करते थे. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें कन्या रूप में प्रकट होकर दर्शन दिए, एवं उनके साथ चलने की जिद करने लगी. इस पर भक्त गजाधर ने कहा कि माता मैं सामान्य सा व्यक्ति आपकी क्या सेवा कर पाउंगा, लेकिन माता ने हठ किया और सांतउ गांव पहुंचकर विराजमान होने की बात कही. इस पर भक्त ने कहा, माता आपका मंदिर कहां बनाया जाए. तो कन्या ने जवाब दिया कि जहां जाकर मैं धरती में समां जाऊं, वहीं मेरा मंदिर बना देना.इस तरह माता गांव से दूर जंगल में एक पहाड़ी पर पहुंचकर विराजमान हो गईं. यहां उनका मंदिर बनाया गया जिसके माध्यम से मां आज भी अपने भक्तों का उद्धार कर रही हैं.

घने वन में विराजित है शीतला माता
माता के चरण सेवक कमल सिंह भगत ने बताया कि उनके पिता पिछले 50 वर्षों से माता की सेवा इसी घने में वन में रहकर करते आ रहे थे. उनके बाद अब वो उनकी पदवी संभाल रहे हैं. उन्होंने बताया कि माता सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती हैं. कुछ वर्ष पूर्व माता के दर्शनों के लिए आ रहे श्रद्धालुओं से भरी ट्रैक्टर ट्राली घटिया पर पलट गई थी, लेकिन इतने बड़े दुर्घटना में भी किसी दर्शनार्थी को चोट तक नहीं आई थी.

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