भरत तिवारी/जबलपुर पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सहस्त्रबाहु नाम के एक राजा ने कामधेनु नाम की दैविक गाय को उनके पिता जमदग्नि से जबरदस्ती पानी की कोशिश की, तब क्रोध वर्ष महेंद्र गिरी पर्वत पर तपस्या रथ भगवान परशुराम ने सहस्त्रबाहु की समस्त भुजाओं को अपने फरसे से काटकर उसका वध कर दिया. कहते हैं सहस्त्रबाहु के वध के बाद भगवान परशुराम जबलपुर की इस जगह पर आकर तपस्या रत हुए, जहां पर उन्होंने इसके पश्चाताप के लिए हजारों लाखों वर्षों तक तपस्या की थी.
जबलपुर से 17 किलोमीटर की दूरी पर खमरिया क्षेत्र में स्थित है, भगवान परशुराम की यह तप भूमि, जमीन से करीब 1000 फीट की ऊंचाई पर इस पर्वत को बहुत कम लोग ही जानते हैं, यह जगह अब तक कई लोगों से अनजान है लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार सहस्त्रबाहु के वध के पास जबलपुर की इसी जगह पर पश्चाताप के लिए भगवान परशुराम ने हजारों वर्षों तक तपस्या की थी.
1000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है यह तपस्या स्थल
जिस शिला के नीचे भगवान परशुराम बैठकर तपस्यारत हुए थे उस जगह पर आज भी छत्र छाया मौजूद है जो अपने आप ही एक बड़ी शीला के अंदर उभरी हुई है. इस बारे में जब लोकल 18 की टीम ने मंदिर के पास ही रह रहे एक नागा साधु से बात की तो उन्होंने इस शिला को शेषनाग का अवतार बताया और इस शिला के नीचे भगवान परशुराम ने सहस्त्र वर्षों तक तपस्या की थी.नागा साधु ने हमें बताया कि आज भी किसी न किसी रूप में चिरंजीवी भगवान परशुराम इस जगह के आसपास भक्तों को दर्शन देते रहते हैं. उन्होंने हमें बताया आप इस जगह पर जब भी किसी परेशानी में होंगे तो किसी न किसी मनुष्य रूप में वह आपकी सहायता करने आपके पास अवश्य आएंगे.
विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा
कहते हैं उस तपो स्थली पर आज भी भगवान परशुराम के पद चिन्ह मौजूद हैं. जिसके ऊपर विश्व की सबसे बड़ी भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित है, जो कि करीब 32 फीट की बताई जाती है. जमीन से करीब 1000 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ की चोटी पर स्थित है भगवान परशुराम की यह 32 फीट की प्रतिमा साथ ही 15 फीट का फरसा लिए भगवान परशुराम वहा विराजित है.कहानी तो ऐसी भी है कि सहस्त्रबाहु के वध के बाद भगवान परशुराम जब इस पर्वत पर पश्चाताप के लिए तप करने आए तब वह मात्र तीन पग में इस पर्वत से ग्वारीघाट जाकर मां नर्मदा में स्नान किया करते थे जिसमें एक पद के ऊपर उनकी 32 फीट की प्रतिमा स्थापित कर दी गई है और दूसरा पद पास ही में है जिसे परशुराम कुंड के नाम से जाना जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2023, 18:46 IST