सावन कुमार/बक्सर. ब्रह्मेश्वर नाथ की भूमि ब्रह्मपुर में 15 दिवसीय फाल्गुनी मेले का आयोजन शुरू हो चुका है. ये मेला मुख्य रूप से जानवरों की खरीद बिक्री का मेला है. इस मेले में कई नस्ल के घोड़े, गधे और खच्चर खरीद बिक्री के लिए लाए गए हैं. कुछ साल पहले तक इस मेले में हाथी, गाय, बैल और अन्य जानवर भी आया करते थे. इस मेले में सबसे ज्यादा लोगों को ऑस्ट्रेलियाई घोड़ा आकर्षित कर रहा है. इसको पानी के रास्ते ऑस्ट्रेलिया से यहां लाया गया है. उनकी कद काठी भी अलग है.
इस घोड़े को पिरो के सम्राट नं. 1 फार्म के डब्लू राय और छोटू बाबा ने ऑस्ट्रेलिया से नाव के रास्ते करीब एक महीना पहले लेकर आए हैं. इस घोड़े का नाम चेतक है. इस ऑस्ट्रेलियाई घोड़े की खासियत इसका खान-पान, रहन-सहन बाक़ी घोड़ों से काफी अलग है. इसकी ऊंचाई भी करीब 6-7 फीट की है. इसे खाने में पिस्ता बादाम और मोटा अनाज दिया जाता है. ये घोड़ा लाइन नस्ल थोरो ब्रीड का घोड़ा है.
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बिहार लाने में लगे 22 लाख रुपए
छोटू बाबा ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि इस घोड़े को ऑस्ट्रेलिया से लाने में करीब 22 लाख रुपये खर्च हुए हैं. अभी चेतक की उम्र करीब 3 साल की है. फार्म में इसकी देखभाल के लिए हमेशा पांच से छह लोग लगे रहते हैं. इस ऑस्ट्रेलियाई घोड़े के साथ समस्या यह है कि ये अंग्रेजी भाषाई घोड़ा है. छोटू बाबा का कहना है कि इस मेले में ऑस्ट्रेलियाई घोड़े को बेचना मकसद नहीं है बस इस घोड़े को लोगों को दिखाना है.
मुगल काल से हुई थी मेले की शुरुआत
नगर पंचायत प्रतिनिधि राकेश महतो का कहना है कि इस मेले की शुरुआत मुगल काल के दौर से ही शुरू हुई है. जब मुख्य वाहन के रूप में घोड़े, खच्चर और गधे का इस्तेमाल सामान ढोने के लिए किया जाता था. ऐसे में इस मेले में घोड़े, गधे और खच्चर और अलग-अलग नस्ल के पशु बिकने के लिए आते हैं. इन पशुओं को खरीदने के लिए देश के कोने-कोने से खरीदार भी आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 7, 2024, 18:40 IST