कुंदन कुमार/गया. पिछले कुछ साल से देश में देसी गायों के पालन का प्रतिष्ठान बढ़ रहा है. इसका एक बड़ा कारण है गिर गाय के पालन की मांग में वृद्धि. यह प्राचीन प्रजाति की गोवंश का हिस्सा है और अब यह देशभर में व्यापक रूप से किया जा रहा है. देसी गायों के पालकों को इससे साथ ही अच्छी आय भी मिल रही है.
गिर गाय विशेष रूप से गुजरात के गिर जंगलों में पाई जाती है, लेकिन अब यह उन्हें पूरे देश में उपलब्ध कराई जा रही है. बिहार के गया जिले में भी बड़े पैमाने पर गिर गाय के पालन का काम किया जा रहा है. गांव मटिहानी में, बृजेंद्र कुमार चौबे के पास 130 से अधिक छोटी और बड़ी गिर गाय हैं, और यहां पालन के साथ ही इनके संरक्षण का काम भी किया जा रहा है.
4 गाय से की थी शुरुआत
बृजेंद्र कुमार चौबे ने 8 साल पहले 4 गायों के साथ गिर गाय के पालन का आरंभ किया था. उन्होंने फिर चार गिर गायों को कर्नाटक और गुजरात से लाकर अपने गौशाला में जोड़ा, और आज उनके पास गायों की संख्या 130 से अधिक हो गई है. उनके गौशाला में प्रतिदिन 150 से अधिक लीटर दूध उत्पादित होता है, और इस दूध को बाजार में आसानी से 120 रुपए प्रति लीटर पर बेचा जाता है. गिर गाय के दूध की घी की कीमत भी 2500 रुपया प्रति लीटर है.
बृजेंद्र अपनी गायों को विभिन्न प्रकार के चारे के साथ पोषण देते हैं. वे बताते हैं कि गायों के दूध की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उनके गौशाला में धार्मिक भजन और संगीत की ध्वनि भी बजाई जाती है, क्योंकि यह गायों के दूध के उत्पादन को सुधार सकता है. उन्होंने हर गाय का नाम रखा हुआ है और सभी गायों की कुंडली भी तैयार की गई है. इनके पास उन्नत नस्ल के बुल भी मौजूद हैं.
जानिए कितना है फायदेमंद
माना जाता है कि गायों में भी गिर गाय का दूध बहुत उत्तम माना जाता है, क्योंकि इसमें 8 तरह के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 तरह के एमिनो एसिड, 11 तरह के चर्बीयुक्त एसिड, 25 तरह के खनिज तत्त्व, 16 तरह के नाइट्रोजन यौगिक, 4 तरह के फास्फोरस यौगिक, 2 प्रकार की शर्करा आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके अलावा, गिर गाय के दूध में खनिज सोना, ताँबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन,फ्लोरिन, सिलिकॉन आदि तत्व भी पाए जाते हैं. दूध पीने के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ मिलते है. इसे सम्पूर्ण आहार माना जाता है. क्योकि इसमें सभी पौषक तत्व पाए जाते है. जो शरीर में होने वाले अनेक रोगों से बचाता है.
10 से 15 किलो दूध आसानी से देती है गाय
गिर नस्ल की गायें गुजरात के गिर जंगलों में पाई जाती हैं और इनकी कद-काठी मजबूत होती है. देसी नस्ल की गायों की तुलना में ये अधिक दूध देती हैं और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. ये गर्म स्थानों और विपरीत परिस्थितियों में भी रह सकती हैं और आसानी से 10 से 15 किलो दूध देती हैं. इनका गर्भधारण करने का समय भी समयानुसार होता है, और इसके कारण इसे कम खर्च में आसानी से पाला जा सकता है. इनका दूध काफी गुणवत्तापूर्ण होता है और उनका मूत्र भी औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है.
जानिए क्या है पहचान
गिर नस्ल की गाय को आसानी से पहचाना जा सकता है. इसके शरीर पर गहरे लाल या चॉकलेटी रंग के धब्बे होते हैं, जो इसकी पहचान है. ये गाय आकार में अन्य देसी गायों की तुलना में बड़ी होती हैं, और इसके कान लंबे होते हैं. इसके माथे पर एक उभार होता है और सींग पीछे की तरफ मुड़े होते हैं. इसका आकार मध्यम से लेकर बड़ा होता है, और यह गाय कम बीमार पड़ती है क्योंकि इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता सही होती है.
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FIRST PUBLISHED : October 30, 2023, 15:44 IST