इस गांव मे दीपावली मनाने का अनोखा तरीका, गुलाल और गले मिलकर बनाते है दीपावली 

कृष्ण कुमार/नागौर. नागौर के ईनाणा गांव का यह अनूठा और पर्यावरण-सहायक तरीका दीपावली मनाने का है काफी प्रेरणादायक है. गुलाल का प्रयोग पटाखों के बजाय एक सुरक्षित और प्रदूषण-मुक्त विकल्प का संकेत करता है. इस तरीके से गांववाले न केवल अपने पर्यावरण की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि एक साथ मिलकर एक सामूहिक, सजीव और रंगीन दीपावली का आनंद उठा रहे हैं.

क्या है कारण क्यों नही फोड़े जाते पटाखे—
इस गांव में साल 2013 से दीपावली के पर्व पर पटाखे फोड़ने बैन किया गया है. जिसकी दो से तीन प्रमुुख वजह रही. गांव के ग्रामीण अयधान राम बताते है कि दीपावली के वक्त किसानों के द्वारा फसल काटकर खेतो मे एक जगह रखी जाती है या घर पर लाकर बाड़े मे एकत्रित करते है तो पटाखों की चिन्गारी से फसल जल सकती है. इसलिए पटाखे फोड़ना मना है. एक बार गांव मे दीपावली के वक्त एक वाक्य घटित हो गया. जिसमे एक साथ दो तीन किसानों के फसल पटाखों की वजह से जलकर राख हो गई. जिसके बाद पटाखे फोड़ना मना है.

वही, ग्रामीण नथमल ईनाणियां बताते है कि ग्रामीण पर्यावरण प्रेमी भी है. पटाखो की वजह किसानों को नुकसान होता है परन्तु इसके अलावा वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, कई बार व्यक्ति जल जाता है वही पटाखों को छोटे बच्चों को नुकसान पहुंच जाता है, जिसके कारण पटाखों को बैन किया गया.

इस प्रकार मनाते है दीपावली—
ग्रामीणों ने बताया कि दीपावली के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई तो ग्रामीणों द्वारा दीपावली के दूसरे दिन राम सामा के दिन गांव की एक जगह एकत्रित होकर एक दूसरे के गले मिलना, एक दूसरे के घर पर जाना और गांव के हित को देखते हुऐ सभी लोगों के लिए एक अच्छा निर्णय लेना जिससे ग्रामीणों का फायदा हो. इस प्रकार से दीपावली को मनाया जाता है.

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