इस गांव में मात्र 17 रुपए में बनता है दो वक्त का खाना, LPG से आधा है खर्च

कुंदन कुमार/गया : बिहार के गया में एक ऐसा गांव हैं, जहां प्रतिदिन मात्र 17 रुपए में 6 परिवार के लिए खाना बन रहा है. सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा, लेकिन यह हकीकत है. जिले के बोधगया प्रखंड क्षेत्र के बसाढी पंचायत अंतर्गत बतसपुर गांव में पिछले 6 महीने से गांव के 25 घर इसका लाभ ले रहे हैं. दरअसल, इस गांव में लोहिया स्वच्छ बिहार फेज टू के तहत गोवर्धन योजना के लिए चयन किया गया है. इसके तहत गांव में 50 लाख रुपए की लागत से बायोगैस प्लांट बनकर तैयार हो गया है. पिछले कुछ महीने से गांव के लोगों को इसका लाभ मिल रहा है.

LPG से काफी कम है महीने का खर्च
गांव में इस योजना के आने से स्थानीय ग्रामीण भी खुश हैं. लोगों का मानना है कि इससे गरीब परिवार को काफी लाभ हो रहा है. पहले लोग लकडी गोइठा से खाना बनाते थे, तो घर की महिलाओं को परेशानी होती थी. प्लांट लगने से लोगों को रोजगार भी मिला है. साथ ही साथ महीने का एलपीजी सिलेंडर खरीदने में जहां एक हजार रुपया खर्च होता था, इसके लगने से गैस की लागत आधा हो गई है. मात्र 500 रुपये में महीने भर का खाना तैयार हो जा रहा है.शनिवार को इस बायोगैस प्लांट का बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री विधिवत उद्घाटन करेंगे.

गोबर के बदले बायोगैस से बनता है खाना
गया जिला का यह दूसरा गांव है, जहां के लोगों को गोबर के बदले बायोगैस के रूप मे कुकिंग गैस उनके घरों तक आपूर्ति की जा रही है. गोबर और जैविक कचरे से बायोगैस का निर्माण हो रहा है. उसके बाद चैंबर से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल को जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा रहा है. फिलहाल वैसे किसान जो गोबर उपलब्ध करा रहे हैं, उन्हें रसोई गैस निशुल्क दी जा रही है, लेकिन जो किसान गोबर नहीं दे रहे हैं, उन्हें आधे दाम में कुकिंग गैस दी जा रही है.

घर, मिट्टी और पर्यावरण को फायदा
इस संबंध में सावित्री रिन्यूअल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर एंड सीईओ अतुल कुमार बताते हैं कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत बिहार के अलग अलग जिलों में काम कर रहे हैं. बायोगैस प्लांट लगाकर घर, मिट्टी और पर्यावरण को बचाने का काम कर रहे हैं. इन्होंने बताया बतसपुर गांव के 25 ग्रामीणों को बायोगैस का लाभ मिल रहा है.आने वाले दिनों में 50 घर को इसका लाभ दिया जाएगा. प्रति यूनिट 25 रुपया चार्ज ग्रामीणों से लिया जा रहा है.6 परिवार वाले घर में महीने का अधिकतम 20 यूनिट गैस की खपत होती है.

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मात्र 500 रुपया में 6 परिवार खाते हैं दोनों वक्त
इस प्रकार मात्र 500 रुपया में 6 परिवार वाले घर में दोनों वक्त भोजन पक रहा है. इसके अलावे वैसे किसान जो इन्हें गोबर देते हैं, उन्हें बदले में जैविक खाद देते हैं. प्रति एकड़ रासायनिक खाद में जहां किसानों को 4-5 हजार रुपया खर्च होता था, लेकिन गोबर गैस से निकलने वाले वेस्ट मैटेरियल जो खाद के रूप मे इस्तेमाल किया जाता है. इसमें किसानों को मात्र 2 हजार रूपये खर्च हो रहा है. गोबर गैस से तीन फायदा हो रहा है.इससे घर, मिट्टी और पर्यावरण को भी बचाया जा रहा है.

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