इस गांव में पाले जा रहे ऐसे जीव, जो अनहोनी से पहले ही दे देते हैं अलर्ट

मोहन प्रकाश/सुपौल. कोरोना फैलने के लिए आज भी जिस जीव के जिम्मेदार होने का कई विशेषज्ञ दावा करते हैं, उसी जीव को सुपौल जिले के एक गांव के लोग खुशहाली का प्रतीक मानते हैं. लोगों को मानना है कि यह जीव भविष्य में होने वाली अनहोनियों का पहले ही संकेत दे देते हैं.

इस कारण से इस गांव के लोग चमगादड़ को संरक्षण देने के साथ उसकी सुरक्षा भी करते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं. सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड अंतर्गत लहरनिया गांव की. यहां के लोग चमगादड़ को देवी का रूप मानते हैं. मान्यता है कि चमगादड़ किसी भी अनहोनी घटना का पूर्वानुमान करा देते हैं.

आपदा से बचाया, इसलिए मानते हैं देवी का रूप

लहरनिया वार्ड-5 निवासी रिक्कु सिंह बताते हैं कि हमलोगों के दादा शिव नारायण सिंह और हित नारायण सिंहने करीब एक सदी पूर्व दूसरे जगह से चमगादड़ लाकर यहां पालना शुरू किया था, जो अब लाखों की तादाद में गांव के बागानों में मौजूद है.

इसे हम लोग देवी की तरह पूजते हैं. वे बताते हैं कि वर्ष 2008 में जब नेपाल के कुसहा में पूर्वी कोसी बांध टूटा था, उस समय भी इस गांव में बाढ़ का पानी नहीं घुसा था. उसके बाद जब वर्ष 2015 में भूकंप आया तो चमगादरों का झुंड पहले ही आसमान में उड़ने लगा. इससे गांव वाले चौकन्ना होकर घरों से बाहर निकल गए. कुछ देर के बाद धरती हिलने लगी. इस तरह ये जीव आने वाली विपत्तियों का ग्रामीणों को पहले ही आभास करा देता है.

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चमगादड़ों से है गांव में खुशहाली

रिक्कु सिंह बताते हैं कि हमलोग चमगादड़ को संरक्षण देकर बचाते हैं. इसे मारने पर गांव में पूरी तरह से रोक है. अगर कोई रोक के बावूजद इसे मारने का प्रयास करता है, तो पकड़ा जाता है. गांव के लोगों का मानना है कि चमगादड़ों का यहां रहना दैवीय कृपा है. इसके आने से गांव खुशहाल है. यह ग्रामीणों को पहचानता है. अगर कोई बाहरी व्यक्ति आता है, तो यह तेज आवाज करने लगता है. उन्होंने बताया कि चमगादड़ रात में दूसरे गावों में जाकर चारा करते हैं और सुबह में लौट आते हैं. गांव में किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं करते हैं.

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