आलोक कुमार/गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिला स्थित जिले के हथुआ गांव को बांसुरी का खान माना जाता है. इस गांव में बड़े पैमाने पर बांसुरी होता है है. यहां कई पीढ़ियों से करीब 200 परिवारबांसुरी का निर्माण करते आ रहे हैं. यहां बनने वाली बांसुरी न सिर्फ बिहार बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में अपनी पहचान बना चुकी है. कला की परख और अच्छी बिक्री के चलते इस इलाके में समृद्धि है.
बता दें कि गोपालगंज जिला के हथुआ गांव में घर-घर बांसुरी बनाने का काम चलता है. डिमांड अधिक है इसलिएबांसुरी बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला सारा समान अग्रिम में उपलब्ध रखते हैं और यहां के लोग प्रतिदिन सुबह से हीं बांसुरी बनाने का काम शुरू कर देते हैं.
कोलकाता से सीखकर आए थे मो. सागीर के दादाजी
मो. सागीर अंसारी ने बताया कि बांसुरी बनाकर बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात सहित अन्य राज्यों में भेजते हैं. उन्होंने बताया कि उनके दादा जी कोलकाता से सीखकर आए और हथुआ में बांसुरी बनाना शुरू कर दिया. पहले बांसुरी बनाकर गांव, मेला और बाजार में घुम-घूमकर बेचते थे.
उसके बाद गांव के लोगों ने भी दादा जी बांसुरी बनाने का तरीका सीखा और इसी काम में जुट गए. इस गांव की लड़कियां जब शादी के बाद अपने-अपने ससुराल गई तो वहां भी बांसुरी बनाने लगी. धीरे-धीरे बांसुरी बनाने की कला इलाके में फैल गई. हालांकि इसकी शुरुआत हमारे घर से ही हुई थी. यहां से कुछ लोग सीवान जिला के मरवा स्थित हसनपुरा भी गए और वहां भी बांसुरी बनाने के काम में ही जुड़ गए. सभी लोग बांसुरी बनाकर ही परिवार का भरण पोषण करते हैं.
एक बांसुरी को बनाने में 35 रुपए होता है खर्च
मो. सागीर अंसारी ने बताया कि बांसुरी को बनाने के लिए नरकट की लकड़ी की जरुरत पड़ती है. एक नरकट की कीमत 25 रुपए तक पड़ जाता है. इसे खरीदकर हीं लाना पड़ता है. एक बांसुरी को तैयार करने में 35 रुपए खर्च होता है. एक व्यक्ति प्रतिदिन 50 से लेकर 100 बांसुरी तक बना लेता है. बांसुरी को अलग-अलग साइज में बनाया जाता है.
बांसुरी का कीमत 50 रुपए से शुरू होकर 200 रुपए तक होता है. बांसुरी को कई साइज में बनाया जाता है, लेकिन सर्वाधिक डिमांड सी साइज की है. यहां से बांसुरी बनाकर यूपी के इलाहाबाद व बनारस, छत्तीसगढ़ केरायपुर व भिलाई के अलावा केरल, आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भेजा जाता है. विदेश में रहने वाले लोग भी जब आते हैं तो बांसुरी खरीद कर ले जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 18, 2023, 23:27 IST